logo-image

UP Election 2022: देवबंद सीट पर टिकी सबकी निगाहें, भाजपा और सपा को सता रहा इस बात का डर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की देवबंद विधानसभा सीट चर्चा का विषय बना हुआ। चुनावी पंडितों के बीच इस सीट को लेकर चर्चा चरम पर है।

Updated on: 12 Feb 2022, 11:07 AM

highlights

  • देवबंद में भाजपा-सपा ने उतारे ठाकुर उम्मीदवार
    सपा को मुस्लिम और ठाकुरों पर टिकी निगाह
    भाजपा राजपूत और अति पिछड़ों लगा रही दाव

देवबंद:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की देवबंद विधानसभा सीट चर्चा का विषय बना हुआ। चुनावी पंडितों के बीच इस सीट को लेकर चर्चा चरम पर है। विश्व विख्यात इस्लामी शिक्षा का केंद्र दारुल उलूम देवबंद में ही स्थित है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि यहां बनने वाली फिजा किसी भी पार्टी की हवा बना और बिगाड़ सकती है। लिहाजा, सभी की निगाहें देवबंद सीट पर लगी हुई। वर्तमान में यहां से भाजपा के बृजेश सिंह विधायक है। भाजपा ने एक बार फिर से उन्हें उम्मीदवार बनाया है।
 
वहीं, समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री राजेंद्र राणा के बेटे कार्तिकेय राणा को टिकट दिया है। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना महमूद मदनी के भतीजे उमर मदनी को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके अलावा कांग्रेस के टिकट पर राहत खलील और बसपा से राजिंदर सिंह भी चुनावी मैदान में है। भाजपा के लिए ये सीट जीतना नाक का सवाल बना हुआ है। लिहाजा. यहां प्रचार के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसभा करेंगे।

ये भी पढ़ेंः देवबंद की सरजमीं से उठी आवाज : दंगा, भयमुक्त भारत का हो निर्माण, कट्टरता व नफरत के खिलाफ होगा इंकलाब

यह सीट जीतना भाजपा के लिए इस बार लोहे का चना चबाने जैसा है। भाजपा के सामने ध्रुवीकरण के साथ ही यहां पर सजातीय वोटों के बिखराव को रोकने की भी चुनौती है। दरअसल, यहां से भाजपा और सपा दोनों ने ही ठाकुर बिरादरी के बृजेश सिंह और  कार्तिकेय राणा को उम्मीदवार बनाया है। इससे यहां पर ठाकुर वोटों के बंटने का आशंका जताई जा रही है। हालांकि, इलाके के ज्यादातर वोटर अभी खामोश हैं। यहां राजपूत मतों को हासिल करने के लिए भाजपा और सपा दोनों के प्रत्याशियों में जंग छिड़ी हुई है। इस सीट पर भाजपा का रथ रोकने के लिए सपा प्रत्याशी कार्तिकेय राणा की निगाहें ठाकुर मतदाताओं के साथ ही मुस्लिम और जाट मतदाताओं पर टिकी हैं। वहीं, भाजपा के वर्तमान विधायक बृजेश सिंह भाजपा के परंपरागत ठाकुर वोटों के साथ ही अति पिछड़ा और सवर्णों को अपने पाले में करने में जुटे हैं। इतिहास के आईने से देखे तो पता चलता है कि आजादी के बाद ज्यादातर इस सीट पर ठाकुर जाति के ही विधायक रहे हैं। यहां से गैर राजपूत मात्र तीन बार यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे। लेकिन, इस बार भाजपा और सपा दोनों ने ही ठाकुर उम्मीदवार पर दाव खेला है। ऐसे में दोनों पार्टियों को भितरघात का डर सता रहा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए 14  फरवरी को 9 जिले के 55 विधानसभा सीट के लिए वोट डाले जाएंगे।