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देवबंद की सरजमीं से उठी आवाज : दंगा, भयमुक्त भारत का हो निर्माण, कट्टरता व नफरत के खिलाफ होगा इंकलाब

देवबंद की सरजमीं से उठी आवाज : दंगा, भयमुक्त भारत का हो निर्माण, कट्टरता व नफरत के खिलाफ होगा इंकलाब

Updated on: 31 Jan 2022, 10:10 PM

देवबंद:

उत्तर प्रदेश के तारीखी शहर देवबंद से एक बार फिर तारीख लिखी गई है। बुद्धिजीवियों, शहर के गणमान्य व्यक्ति एवं सभ्य समाज ने एक सुर में ये आवाज दी कि हिंदुस्तान को दंगा और दहशत से मुक्त बनाना है। साथ ही कट्टरता और नफरतों के सौदागरों के खिलाफ अब इंकलाब होगा।

इस मौके पर यह बात भी कही गई कि हिंदू-मुसलमान एक थे, एक हैं और एक रहेंगे। साथ ही यह फैसला भी हुआ कि नफरती आवाज पर लगाम लगाने की जरूरत है, चाहे वो आवाज धर्मसंसद से उठी हो या फिर टीवी चैनल पर बैठने वाले तथाकथित मौलाना और नकली उलेमाओं के मुंह से क्यों न निकली हो।

ये बातें उस समय निकलकर आईं, जब हिंदुस्तान की अवाम के बीच हिंदू मुस्लिम एकता, सद्भावना और भाईचारे की अलख जगाने के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर माजिद तालिकोटि, बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ हिंदुस्तान फस्र्ट हिंदुस्तानी बेस्ट की टीम से राष्ट्रीय संयोजक बिलाल उर रहमान, सह संयोजक अजीमुल हक सिद्दीकी, अरशद इकबाल, समाजसेवी अकील अहमद खान और मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने दारुल उलूम देवबंद और मेरठ का गहन दौरा किया।

राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर माजिद तालिकोटि ने कहा कि आज शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा.. सभी मुद्दों पर समाज के हर एक तबके को साथ लेकर चलने की कोशिश हो रही है। सरकार ने किसी भी समाज या तबके के साथ कोई भेदभाव नहीं किया है। छात्रों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था के साथ जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर गांव-गांव तक पहुंचाए जा रहे हैं। युवाओं में आत्मनिर्भरता के लिए स्वरोजगार केंद्र जगह-जगह खोले गए हैं। माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज मिनिस्ट्री की तरफ से आत्मनिर्भरता के लिए अनगिनत कदम उठाए गए हैं। इन सभी योजनाओं का बिना कोई भेदभाव किए सभी धर्म और समाज के लोग फायदा उठा सकते हैं।

धर्मसंसद के सवाल पर डॉक्टर तालिकोटि ने कहा, इसका संबंध न तो सरकार से है और न ही संगठन से.. धर्मसंसद में आवाज चाहे उत्तराखंड से उठे या उत्तर प्रदेश से.. समाज को तोड़ने वाली किसी भी भाषा का हम समर्थन नहीं करते।

बुद्धिजीवियों ने मुस्लिमों के शिक्षा में और सुधार करने, स्वरोजगार से जोड़ने, वंचित और शोषित समाज के लिए और अधिक बल दिए जाने पर जोर दिया। खास बात यह रही कि शहर के इमाम, डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर, चार्टेड एकाउंटेंट, वरिष्ठ शिक्षाविद् के साथ-साथ समाज के दबे-कुचले और शोषित समाज के लोगों की भी भागीदारी रही।

मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने कहा कि वक्त आ गया है कि लोग गुमराह न हों और अपने मुस्तकबिल के लिए वैसी सरकार और वैसी पार्टी का साथ दें, जो तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करती है, बल्कि सभी के लिए समान रूप से विकास और विश्वास के रास्ते खोलती है।

उन्होंने कहा कि कौम को एक-दूसरे के बीच संवाद बढ़ाना चाहिए, जिससे बरसों की पड़ी गफलत और गलतफहमी की धूल को जल्द से जल्द दूर की जा सके। उन्होंने कहा कि मुस्लिम और हिंदू समाज को कंधे से कंधा मिलाकर चलने की जरूरत है।

सईद ने कहा कि दोनों कौम की तरफ से महज 2 फीसदी ऐसे लोग हैं, जो आपसी दूरियां बढ़ाकर अपनी रोटियां सेंकने की कोशिश करते हैं। ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड की धर्म संसद में कही गईं बातों से ही माहौल खराब करने की कोशिश होती है, बल्कि सुबह-शाम टीवी चैनलों पर दाढ़ी-टोपी वाले चंद फर्जी मौलाना और तथाकथित उलेमा भी अपनी जहालत और जाती मफाद की वजह से रोजाना समाज में जहर फैलाने का काम करते हैं।

बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक बिलाल उर रहमान ने मुसलमानों के हितों में हुए काम की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने समाज के हर तबके, हर समुदाय को अपना मानकर खुले दिल से बेहतरीन काम किया है। इस दौरान गरीब मुस्लिमों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान मिले, उज्‍जवला योजना के तहत गैस चूल्हे मिले। वक्फ काउंसिल से लेकर हज कमेटी तक ने बेहतरीन काम किया है।

बिलाल ने कहा कि हज यात्रियों का कोटा सरकार ने 80 हजार से बढ़ाकर 2 लाख कर दिया है। मदरसा बोर्ड को लेकर भी सरकार ने बेहतरीन काम किया है। आज मदरसों में दीनी और दुनियावी दोनों ही तरह की तालीम मुहैया हो रही है और ये सब साफ नीयत और सकारात्मक सोच का ही परिणाम है। सरकार की उपलब्धियां बेहिसाब हैं।

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