Achar Sanhita: आचार संहिता क्या है? जानिए इसका उल्लंघन करने पर क्या है सजा

Achar Sanhita: आचार संहिता किसी व्यक्ति, पार्टी या संगठन के लिए निर्धारित सामाजिक व्यवहार, नियमों और जिम्मेदारियों का एक समूह है. इसका उद्देश्य नैतिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है.

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Inna Khosla
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Achar Sanhita

Achar Sanhita( Photo Credit : Social Media)

Achar Sanhita: आचार संहिता एक दिशानिर्देश है जो चुनाव प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों के आचरण को नियंत्रित करता है. इसका उद्देश्य स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना है. आचार संहिता एक सेट नैतिक और सामाजिक नियमों और दिशानिर्देशों का है जो एक संगठित समाज के सदस्यों के लिए निर्धारित किया जाता है. यह नियम और दिशानिर्देश समाज के सदस्यों के व्यवहार, संगठन, और नैतिक मूल्यों को नियंत्रित करने के लिए होते हैं. आचार संहिता नैतिकता और ईमानदारी को प्रोत्साहित करती है. यह सामाजिक और नैतिक मूल्यों के प्रति समर्पितता को बढ़ावा देती है. समाजिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देती है और लोगों को सामाजिक सेवा और सहायता करने के लिए प्रोत्साहित करती है.

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आचार संहिता के मुख्य बिंदु

निष्पक्षता: सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए.

समानता: किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को अनुचित लाभ नहीं मिलना चाहिए.

पारदर्शिता: सभी चुनावी खर्चों का हिसाब-किताब रखा जाना चाहिए और सार्वजनिक किया जाना चाहिए.

गैर-हिंसा: चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा या धमकी नहीं दी जानी चाहिए.

गैर-भ्रष्टाचार: चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार या रिश्वत नहीं दी जानी चाहिए.

निष्पक्ष मीडिया कवरेज: मीडिया को सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को निष्पक्ष रूप से कवर करना चाहिए.

आचार संहिता का उल्लंघन करने पर सजा

आचार संहिता का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग द्वारा ये दंड लगाए जा सकते हैं

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चेतावनी: मामूली उल्लंघनों के लिए, चुनाव आयोग उम्मीदवार या राजनीतिक दल को चेतावनी जारी कर सकता है.

निर्वाचन क्षेत्र से बहिष्कार: गंभीर उल्लंघनों के लिए, चुनाव आयोग उम्मीदवार को निर्वाचन क्षेत्र से बहिष्कृत कर सकता है.

चुनाव रद्द: अगर उल्लंघन बहुत गंभीर है, तो चुनाव आयोग पूरे चुनाव को रद्द कर सकता है.

अन्य दंड: चुनाव आयोग उम्मीदवार या राजनीतिक दल पर जुर्माना भी लगा सकता है या उन्हें चुनाव प्रचार करने से रोक सकता है.

आचार संहिता कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन चुनाव आयोग का यह दायित्व है कि वह इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपनी-अपनी आचार संहिताएं भी हो सकती हैं, जो राष्ट्रीय आचार संहिता के अनुरूप होनी चाहिए.

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Source : News Nation Bureau

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