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NewsNation Exit Poll 2019: इस चुनाव में राम मंदिर नहीं, यह है सबसे बड़ा मुद्दा

इसी के चलते News Nation ने एक सर्वे कर देश की जनता से जाना कि आखिर इस लोकसभा चुनाव 2019 में लोगो के अहम मुद्दे क्या थे.

Updated on: 19 May 2019, 08:58 PM

नई दिल्ली:

आज यानी रविवार को लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें और आखिरी चरण का मतदान 5 बजे खत्म हो गया. इसी के चलते News Nation ने एक सर्वे कर देश की जनता से जाना कि आखिर इस लोकसभा चुनाव 2019 में लोगो के अहम मुद्दे क्या थे. इसके अलावा इसकी पूरी डिटेल NewsState.come पर देख सकते हैं. इस बीच सर्व में मालूम चला कि इन चुनावों में लोगों का सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार था. News Nation ने अपने सर्वें में देश की जनता से पूछा कि लोकसभा चुनाव 2019 में वोट देते समय आपके लिए सबसे बड़ा मुद्दा क्या था ?

रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा

न्यूज नेशने के सर्वे के अनुसार रोजगार को 19 प्रतिशत लोगों ने अपना मुद्दा बताया. मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के तरकश में 'रोजगार' का तीर सबसे अहम है. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां सरकार को कई बार इस मुद्दे पर घेर चुकी हैं. मोदी सरकार को 2014 में नौकरियों का वादा करने पर बड़ी सफलता मिली थी, लेकिन कहीं न कहीं वह इस वादे को पूरा करने में सफल नहीं दिख रहे हैं.सरकार पर डेटा में हेरफेर कर इस मुद्दे के प्रति गंभीरता नहीं बरतने का आरोप भी लगता रहा है.सरकार ने ईपीएफओ नंबर बढ़ने और मुद्रा लोन की संख्या बढ़ने का हवाला देकर रोजगार का वादा पूरा करने के सबूत देने की कोशिश की है, लेकिन विपक्ष इससे कहीं भी सहमत नहीं है.

मंहगाई

न्यूज नेशन के सर्वे के अनुसार महगाई को 17 प्रतिशत लोगों ने अपना मुद्दा बताया है. आम तौर पर किसी भी चुनाव में महंगाई सबको प्रभावित करने वाला मुद्दा रहा है, लेकिन इस चुनाव में यह मुद्दा उतना जोर पकड़ता नहीं दिख रहा है.मोदी सरकार कहीं न कहीं महंगाई पर लगाम लगाने में कामयाब रही है.विपक्षी पार्टियां चाहकर भी महंगाई के मुद्दे पर बीजेपी को घेर नहीं सकी हैं.वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि महंगाई पर लगाम लगाने का एक बड़ा कारण यह है कि किसान से कम दाम पर ही सामान सामान खरीदा गया.ऐसे में महंगाई कंट्रोल करने में तो भले ही कामयाबी मिली हो, लेकिन ग्रामीण इलाकों में पार्टी को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार

इन चुनावों में पीएम पद का उम्मीदवार कौन होगा यह 14 प्रतिशत लोगों का मुद्दा रहा है.

खेती किसानी से जुड़े मुद्दे

खेती किसानी से जुड़े मुद्दे को 6 प्रतिशत लोगों ने अपना अहम मुद्दा बताया. 1990 के समय से ही चुनावों में राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद बड़े मुद्दों में शुमार रहा है, लेकिन इस बार यह मुद्दा हाल ही में हुए पुलवामा हमले के पहले चुनाव के केंद्र में नहीं था.पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों की शहादत और उसके बाद भारतीय वायु सेना की तरफ से पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद यह मुद्दा ऐसे मुकाम पर भी आ गया है कि यह चुनाव की दिशा भी बदल सकता है.यह मुद्दा बीजेपी को बढ़त दिलाने में अहम भूमिका निभा सकता है.बीजेपी यह दिखाने की कोशिश करेगी कि नरेंद्र मोदी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो कठोर फैसले लेकर पाकिस्तान और आतंकवाद से मुकाबला कर सकते हैं.किसान- या कहें कि ग्रामीण वोटर्स- ने 2014 में मोदी सरकार की जीत में बड़ा रोल निभाया था.वहीं इस बार कृषि निवेश में बेहतर रिटर्न न मिलने से ग्रामीण वोटरों में नाराजगी है.नोटबंदी जैसे कदमों ने इस मुद्दे को अहम बना दिया है.राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के चुनाव में कांग्रेस ने इस मुद्दे का पूरा फायदा उठाने की कोशिश की और उन्हें सफलता भी मिली.इसके बाद बीजेपी ने कई और रास्तों से किसानों की मदद कर इस कमी को पूरा करने की कोशिश की है.

राष्ट्रीय सुरक्षा/आतंकवाद

सर्वे के अनुसार 4 प्रतिशत लोगों ने आतंकवाद को अपना मुद्दा बताया. बता दें 1990 के समय से ही चुनावों में राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद बड़े मुद्दों में शुमार रहा है, लेकिन इस बार यह मुद्दा हाल ही में हुए पुलवामा हमले के पहले चुनाव के केंद्र में नहीं था.पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों की शहादत और उसके बाद भारतीय वायु सेना की तरफ से पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद यह मुद्दा ऐसे मुकाम पर भी आ गया है कि यह चुनाव की दिशा भी बदल सकता है.यह मुद्दा बीजेपी को बढ़त दिलाने में अहम भूमिका निभा सकता है.बीजेपी यह दिखाने की कोशिश करेगी कि नरेंद्र मोदी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो कठोर फैसले लेकर पाकिस्तान और आतंकवाद से मुकाबला कर सकते हैं.

जातीय समीकरण

देश में 3 प्रतिशत लोगों ने जातीय समीकर को अपना मुद्दा बताया. भारत में अब तक हुए चुनावों में जातीय समीकरण के आधार पर किसी भी पार्टी की मजबूती का अंदाजा लगाना बेहद आसान रहा है. लेकिन इस बार का चुनाव इस मामले पर काफी अलग रहा. विपक्ष मोदी को हराने के लिए इस बार जातीय समीकरण को आधार बना रहा है. विपक्ष का मानना है कि यूपी में यादव, जाटव और मुसलमान के साथ आने से बीजेपी के हराना काफी आसान होगा.वहीं बिहार में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने लालू के साथ गठबंधन कर ओबीसी और मुसलमान वोटों के भी एकजुट करने की कोशिश की है.बीजेपी को 2014 में बड़ी जीत इसलिए मिली थी क्योंकि मोदी कुछ उन जातियों का भी समर्थन मिला था, जिन्हें आम तौर पर विपक्षी पार्टियों का आधार माना जाता है.मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी को मिली हार के पीछे तथ्य दिए गए कि उच्च वर्ग बीजेपी से दूर हो रहा है.ऐसे में बीजेपी ने गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देकर उन्हें अपने खेमे में बनाए रखने की कोशिश की है.

महिला सुरक्षा / कानून व्यवस्था

न्यूज नेशने के सर्वे के अनुसार देश में 4 प्रतिशत लोगों ने महिला सुरक्षा को अपना पहला मुद्दा बताया. केंद्र सरकार ने टॉइलेट निर्माण, एलपीजी गैस की सुविधा और बलात्कार के मामलों पर सख्ती जैसे कदम उठाए हैं. इससे उन्हें महिलाओं का वोट मिलने का भरोसा है. वहीं बड़े नेता एमजीआर, एनटीआर, जयललिता से लेकर शिवराज सिंह चौहान और नीतीश कुमार को अबतक महिलाओं का जबरदस्त सपॉर्ट मिला है.

राम मंदिर का मुद्दा

न्यूज नेशन के सर्वे पर सिर्फ 2 प्रतिशत लोगों ने ही इसे अपना मुद्दा बताया.

1 प्रतिशत लोगों ने इन्हें बताया अपना मुख्य मुद्दा

सामान्य वर्ग के लिए आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण, राफेल विमान खरीद पर आरोप प्रत्यारोप, सांप्रदायिकता ,अन्य और कह नहीं सकते को जनता ने चुना.