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UP Election 2022: 7 तारीख के 7वें चरण में 7 मंत्रियों की साख दांव पर

इस चरण में 54 सीटों पर कुल 613 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाएंगे, जिसमें 11 अनुसूचित जाति के आरक्षित और दो अनुसूचित जनजाति के लिए लगभग 2.06 करोड़ मतदाता शामिल हैं.

Updated on: 07 Mar 2022, 06:56 AM

highlights

  • इस चरण में 54 सीटों पर 613 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाएंगे
  • सातवां और अंतिम चरण दोनों पक्षों के सहयोगियों के लिए एक परीक्षा
  • भाजपा के 48 तो सपा के 45 उम्मीदवारों के लिए है तगड़ी टक्कर

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) से पर्दा हटने के साथ ही सोमवार को अंतिम और सातवें चरण का मतदान शुरू हो चुका है. इसके साथ ही प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए दांव अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. पूर्वांचल की कुल 54 विधानसभा सीटों पर सात मार्च को मतदान हो रहा है, जबकि सभी चरणों की मतगणना 10 मार्च को होगी. अंतिम चरण में जिन जिलों में मतदान होना है उनमें आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र हैं. इस चरण में सात मंत्रियों समेत भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दलों के नेताओं का कद भी दांव पर लगा हुआ है. 

54 सीटों पर 613 उम्मीदवार
इस चरण में 54 सीटों पर कुल 613 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाएंगे, जिसमें 11 अनुसूचित जाति के आरक्षित और दो अनुसूचित जनजाति के लिए लगभग 2.06 करोड़ मतदाता शामिल हैं. यह अंतिम दौर भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों के छोटे जाति-आधारित दलों के साथ गठजोड़ की भी परीक्षा होगी. बीजेपी के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी और अखिलेश यादव के नए दोस्त अपना दल (के), ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) और अन्य समर्थक ताबड़तोड़ रैली कर हवा बनाते रहे हैं. कभी समाजवादी पार्टी का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में 2017 में बीजेपी ने अपने सहयोगी अपना दल (4) और एसबीएसपी (3) के साथ 29 सीटें जीतकर अपनी पैठ बनाई. बसपा को छह और समाजवादी पार्टी को 11 सीटें मिली थीं.

इनकी साख है दांव पर 
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने जौनपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जो मल्हानी सीट से अपने लंबे समय के सहयोगी स्वर्गीय पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव के लिए समर्थन में आया. मुलायम सिंह ने इससे पहले मैनपुरी की करहल सीट पर अपने बेटे और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए प्रचार किया था. इस चरण के प्रमुख प्रतियोगियों में यूपी के मंत्री नीलकंठ तिवारी, अनिल राजभर, रवींद्र जायसवाल, गिरीश यादव और राम शंकर सिंह पटेल शामिल हैं. योगी आदित्यनाथ कैबिनेट से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए दारा सिंह चौहान भी मऊ के घोसी से चुनाव लड़ रहे हैं. एसबीएसपी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (जहूराबाद), धनंजय सिंह (मल्हानी-जौनपुर) जेडी (यू) के उम्मीदवार के बेटे अब्बास अंसारी मऊ सदर सीट से राजनेता बने मुख्तार अंसारी अंतिम चरण में अन्य प्रमुख उम्मीदवार हैं.

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बीजेपी के लिए गढ़ बचाने की चुनौती
भाजपा अपने गढ़ को बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, जबकि समाजवादी पार्टी 2012 के विधानसभा चुनावों में जीते गए निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रही है. साथ ही यूपी विधानसभा चुनाव का सातवां और अंतिम चरण दोनों पक्षों के सहयोगियों के लिए एक परीक्षा होगी. भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में अनुप्रिया पटेल से लेकर सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में ओम प्रकाश राजभर जैसे नेता शामिल हैं. इस चुनाव में भाजपा ने पार्टी के चुनाव चिह्न् पर 54 सीटों में से 48 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि उसके सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी ने 3-3 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी ने अपने चुनाव चिह्न् पर 45 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि उसके सहयोगी एसबीएसपी ने सात उम्मीदवार और अपना दल (के) ने दो उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. एक नजर हॉट सीट पर...

मोहम्मदाबाद में अंसारियों की साख है दांव पर
गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद सीट अंसारियों का गढ़ कही जाती है. यह अलग बात है कि एक जमाने में यहां कम्युनिस्ट पार्टी का बोलबाला था. मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल इस सीट से पांच बार विधायक रहे हैं. उन्हें कृष्णानंद राय ने हराया था. अब उनकी पत्नी बीजेपी के टिकट पर सपा के सुहेब अंसारी को चुनौती दे रही हैं. सुहेब अंसारी सिबगतुल्लाह अंसारी के बेटे हैं. सिबगतुल्लाह भी इस सीट से दो बार विधायक रहे हैं. वह अफजाल के बड़े भाई हैं.

​जहूराबाद से राजभर साबित करेंगे गब्बर प्रभाव
जहूराबाद आखिरी चरण की सबसे चर्चित सीट है., जहां से सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ताल ठोंक रहे हैं. खुद को 'गब्बर' बताने वाले राजभर के खिलाफ बीएसपी और बीजेपी की दोहरी चुनौती है. बीजेपी के उम्मीदवार कालीचरण राजभर और बीएसपी की उम्मीदवार शादाब फातिमा उन्हें बड़ी चुनौती पेश कर रही हैं. गौरतलब है कि भाजपा से किनारा कर ओम प्रकाश राजभर इस बार सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं.

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मल्हनी को मुलायम ने बनाया प्रभावी
सपा का गढ़ मानी जाने वाली मल्हनी सीट पर मुकाबला दिलचस्प है. अखिलेश यादव के लिए करहल के बाद मुलायम सिंह यादव ने मल्हनी सीट के पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव के लिए प्रचार किया था. बीजेपी के केपी सिंह उन्हें हूल दे रहे हैं. बिहार में बीजेपी की सहयोगी जेडीयू भी इस सीट पर चुनाव लड़ रही है. बाहुबली नेता धनंजय सिंह तीर का निशान लेकर मैदान में हैं.

घोसी में मामला चतुष्कोणीय
घोसी विधानसभा सीट पर बीजेपी और सपा के कद्दावर नेता चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी से यहां विजय राजभर ताल हैं, वहीं सपा ने पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान पर दांव आजमाया है. इसके अलावा बीएसपी और कांग्रेस भी यहां अपना पेंच फंसा चुकी हैं.

मुख्तार की विरासत के लिए बेटा मैदान में
मऊ विधानसभा सीट से बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी इस बार चुनाव में गैरहाजिर हैं. उनकी जगह बेटा अब्बास अंसारी ताल ठोंक रहा है और उकसावेपूर्ण भाषण देकर चुनाव आयोग के रडार पर आ चुके हैं. विवादित बयान के बाद अब्बास पर चुनाव आयोग ने प्रचार करने पर प्रतिबंध लगाया था. अब्बास के सामने मुख्य चुनौती बीजेपी के अशोक सिंह की है.

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वाराणसी में नीलकंठ
वाराणसी दक्षिणी सीट पर 33 साल से बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी से नीलकंठ तिवारी को सपा के किशन दीक्षित चुनौती दे रहे हैं. दीक्षित का नाम प्रसिद्ध मंदिर मृत्युंजय महादेव से जुड़ा है. ऐसे में मुस्लिम, यादव और ब्राह्मणों का समर्थन अगर सपा के खाते में जाता है तो बीजेपी को दिक्कत हो सकती है.

शिवपुर में योगी सरकार में मंत्री ठोंक रहे ताल
शिवपुर विधानसभा सीट पर योगी सरकार के मंत्री अनिल राजभर की प्रतिष्ठा दांव पर है. उनके सामने गठबंधन से अरविंद राजभर ताल ठोक रहे हैं. अरविंद राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार हैं.

वाराणसी उत्तर में मंत्रीजी की साख दांव पर
वाराणसी नॉर्थ से बीजेपी के उम्मीदवार योगी सरकार के मंत्री रवींद्र जायसवाल हैं. उनके सामने समाजनादी पार्टी के अशफाक हैं. साल 2012 से ही रवींद्र जायसवाल इस सीट पर विजयी रहे हैं. कांग्रेस का कभी गढ़ रही इस सीट पर सपा की भी अच्छी-खासी पकड़ है.