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गाजीपुर के इस सीट पर भाजपा ने बिगाड़ा ओमप्रकाश राजभर का खेल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में सात मार्च को गाजीपुर में मतदान होना है. मतदान में अब मात्र चार दिन ही बाकी है. ऐसे में सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. भाजपा जिले की तीन सीटों पर काबिज,

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में सात मार्च को गाजीपुर में मतदान होना है. मतदान में अब मात्र चार दिन ही बाकी है. ऐसे में सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. भाजपा जिले की तीन सीटों पर काबिज,

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Iftekhar Ahmed
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Om Prakash Rajbhar

OM Prakash Rajnhar( Photo Credit : News Nation)

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में सात मार्च को गाजीपुर में मतदान होना है. मतदान में अब मात्र चार दिन ही बाकी है. ऐसे में सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. भाजपा जिले की तीन सीटों पर काबिज, लिहाजा वह इसे हर हाल में बरकरार रखना चाहती है. लिहाजा, पार्टी ने पूरी ताकत झोंक रखी है. इसी कड़ी में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी सभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने विरोधियों पर जमकर हमला बोला और जनता को भ्रष्टाचारियो से दूर रहने की सलाह दी. 

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जिले में मनोज सिन्हा का है प्रभाव
कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा गाजीपुर जिले के मोहनपुर गांव के रहने वाले हैं. मनोज सिन्हा की गिनती भाजपा के मजबूत नेताओं में होती है. वे यहां से तीन बार सांसद रह चुके हैं. वह केंद्र में रेल राज्य मंत्री भी रहे. मनोज सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे भरोसेमंद नेता माना जाता है.  2017 के विधानसभा चुनाव में गाजीपुर जिले में मनोज सिन्हा की पसंद के उम्मीदवार उतारे गये थे, जो तीन विधायक जीते थे. एक बार फिर उन सभी पर भरो बरकरार रखा गया है. मुहम्मदाबाद की विधायक अलका राय, गाजीपुर सदर की विधायक संगीता बलवंत बिंद और जमनिया की विधायक सुनीता सिंह को फिर से मैदान में उतारा गया है. माना जा रहा है कि ऐसा मनोज सिन्हा के प्रभाव से हुआ है. 

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भाजपा ने कालीचरण राजभर को दिया मैदान में 
2017 में भाजपा को तीन और उसकी सहयोगी रही ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को दो सीटें (जहूराबाद और जखनियां) मिलीं थी. ओमप्रकाश राजभर जहूराबाद से जीते थे. इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन की वजह से इस जिले में भाजपा की राजनीति बदल गई है. इस बार ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव पार्टी भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ रही है. इसलिए भाजपा ने ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ सपा छोड़कर भाजपा में आए कालीचरण राजभर को प्रत्याशी बना कर जबर्दस्त दांव खेला है. 

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पहले भी ओमप्रकाश को चुनौती दे चुके हैं कालीचरण
गौरतलब है कि  2017 के विधानसभा चुनाव में कालीचरण राजभर ने जहूराबाद से सपा के टिकट पर ओमप्रकाश राजभर की घेराबंदी की थी. उस वक्त सुभासपा और भाजपा एक साथ चुनाव लड़ रही थी. लिहाजा, ओमप्रकाश राजभर जीत गए और योगी सरकार में मंत्री भी बने. लेकिन बेटे को टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था. अब ओमप्रकाश राजभर ने सपा से गठबंधन कर लिया है. ऐसे में कालीचरण ने पाला बदलते हुए भाजपा में आ गए. दिसम्बर 2021 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली थी.अब भाजपा ने उसे फिर से हुजूराबाद से उम्मीदवार बनाया है. इसके साथ ही भाजपा ने विरोधियों के समीकरण को छिन्न-भिन्न कर दिया है. हैं. ऐसी आशंका है कि राजभर समुदाय में उनकी भी पैठ है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जहूराबाद में राजभर वोट बंटने से ओमप्रकाश राजभर को बड़ा नुकसान हो सकता है. हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जहूराबाद में राजभर वोट बंटने से ओमप्रकाश राजभर को बड़ा नुकसान हो सकता है.  वहीं, भाजपा ने सैदपुर की सीट अपने सहयोगी निषाद पार्टी को दी है. 

HIGHLIGHTS

  • भाजपा ने हुजूराबाद में खेला राजभर कार्ड
  • सपा से पाला बदल कर आए नेता पर भरोसा
  • 2017 में सपा के टिकट पर लड़े थे कालीचरण 
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