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Tamil Nadu Election: कौन हैं केएस अलागिरि, कांग्रेस ने क्यों सौंपी थी इतनी बड़ी जिम्मेदारी

केएस अलागिरी ने साल 1991 में वे पहली बार विधायक बने थे. 1991 के चुनाव में चिदंबरम क्षेत्र से विधायक भी थे. 1996 में उन्होंने तमिल मानीला कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चिदंबरम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

Updated on: 06 Mar 2021, 02:20 PM

highlights

  • साल 1991 में वे पहली बार विधायक बने
  • 2014 की मोदी लहर में भी जीत हासिल की
  • 2019 में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली

नई दिल्ली:

तमिलनाडु में विधानसाभा चुनाव (Tamil Nadu Assembly Election 2021)  का बिगुल बज चुका है. पार्टियों की ओर से अब उम्मीदवारों के नाम की लिस्ट भी सामने आने लगी है. राहुल गांधी जब से वायनाड से सांसद चुने गए हैं उनका पूरा ध्यान दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत बनाने पर है. इसलिए ये चुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहम है. इस चुनाव में सबसे ज्यादा निगाहें तमिलनाडु में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केएस अलागिरि पर लगी हुई हैं. लोक सभा चुनाव से पहले उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी.  

राजनीतिक सफर

उनका जन्म 22 अक्टूबर 1952 को तमिलनाडु में कडलूर जिले के केरापलायम गांव में हुआ था. उन्होंने तमिलनाडु के अन्नामलाई विश्वविद्यालय से स्नातक (BA) किया. और छात्र जीवन से ही राजनीति में उतर गए थे. अलागिरी ने छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखा था. साल 1991 में वे पहली बार विधायक बने थे. 1991 के चुनाव में चिदंबरम क्षेत्र से विधायक भी थे. 1996 में उन्होंने तमिल मानीला कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चिदंबरम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. साल 2009 में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में कडलूर से लोकसभा का चुनाव जीता. 2014 में इसी सीट पर एक बार फिर कांग्रेस का झंडा फहराया. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों से पहले उन्हें तमिलनाडु प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाया गया.

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कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास किया

अलागिरी को कांग्रेस ने जब से प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी है, वे पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए हैं. राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी थी. उन्होंने राहुल को सुनने के लिए रैली में पूरे प्रदेश से लोगों को जुटाने का सफल काम किया था. कोरोनाकाल में भी वे पार्टी को मजबूत करने के काम लगे रहे, इसी कारण से वे कोरोना की चपेट में भी आ गए थे. उनकी मेहनत की वजह से राज्य में केएस अलागिरी की मेहनत के दम पर कांग्रेस की स्थिति पहले से काफी बेहतर है. जब से वे अध्यक्ष बने हैं लगातार संगठन को मजबूत करने का काम कर रहे हैं. हालांकि राज्य में कांग्रेस का एक धड़ा केएस अलागिरी को पसंद नहीं करता. लेकिन दिल्ली से अभी तक उनको पूरा समर्थन मिला है. कांग्रेस हाइकमान ने प्रदेश इकाई की लंबी चौड़ी टीम का ऐलान किया, जिसके बारे में कहा जाता है कि अलागिरी की सलाह पर प्रभारी दिनेश गुंडूराव के साथ मिलकर सारी चीजें तय कीं. इसमें प्रदेश के सीनियर नेताओं से कोई सलाह मशवरा नहीं किया गया था. उस समय कार्ति चिदंबरम ने तो बाकायदा इस बदलाव का विरोध तक किया था.

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DMK के बर्ताव से दुखी हुए

प्रदेश में चुनाव से पहले डीएमके ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से फिलहाल इनकार कर दिया है. इस बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख केएस अलागिरी कांग्रेस के बर्ताव को लेकर भी अपमानित महसूस कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि डीएमके ने कांग्रेस के सीनियर नेताओं के साथ जिस तरह का व्यवहार किया उसे देखकर अलागिरी बेहद नाराज़ हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कार्यकारी सदस्यों को संबोधित करते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने कार्यकारी के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि सीट की बात अलग है. जिस तरीके का उन्होंने व्यवहार हमारे सीनियर नेता ओमन चांडी के साथ किया उससे मैं बेहद आहत हूं. बता दें बता दें कि 234 सदस्यों वाली तमिलनाडु विधानसभा के लिए एक फेज में 6 अप्रैल को चुनाव होंगे. नतीजे 2 मई को आएंगे.