Bihar Election 2020: जानें सिकटी विधानसभा क्षेत्र के बारें में
नेपाल सीमा से सटे बिहार के अररिया जिले का सिकटी विधान सभा क्षेत्र 1977 में अस्तित्व में आया. इससे पहले यह पलासी विधान सभा क्षेत्र में था. 1977 में अस्तित्व में आने के बाद से यहां दस चुनाव हुए हैं.
सिकटी:
साल 2020 बिहार की जनता और यहां के नेताओं के लिए अहम साल हैं. इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) होने है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टीयों ने पूरी तरह कमर कस ली हैं. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपनी पार्टी के प्रचार और संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस बार बिहार की जनता किसे सत्ता पर बैठाएगी और किसे बाहर का रास्ता दिखाएगी. लेकिन इससे पहले हम सिकटी विधानसभा सीट के बारे में जानेंगे.
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सिकटी विधानसभा क्षेत्र के बारे में-
नेपाल सीमा से सटे बिहार के अररिया जिले का सिकटी विधान सभा क्षेत्र 1977 में अस्तित्व में आया. इससे पहले यह पलासी विधान सभा क्षेत्र में था. 1977 में अस्तित्व में आने के बाद से यहां दस चुनाव हुए हैं. इनमें तीन-तीन बार कांग्रेस और बीजेपी, दो बार निर्दलीय, एक-एक बार जनता दल और जनता दल यूनाईटेड का कब्जा रहा है.
इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले मो. अजीमउद्दीन पांच बार क्रमश: 1962, 1967, 1969, 1972 व 1980 में यहां के विधायक बने तो चार बार मंत्री बने. हरिहर प्रसाद, महामाया प्रसाद, दारोगा प्रसाद, कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद जैसे मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल में वे काम कर चुके हैं. खास बात यह कि पांच में चार बार वे निर्दलीय चुनाव जीते. इनमें तीन बार तो तत्कालीन पलासी विस से और दो बार सिकटी से.
कांग्रेस के दिग्गज शीतल प्रसाद गुप्ता और रामेश्वर यादव भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वर्तमान में बीजेपी के विजय कुमार मंडल का कब्जा है. वे भी बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. 2009 के परिसीमन के बाद इस क्षेत्र में भौगालिक व सामाजिक परिवर्तन हुए.
परिसीमन के बाद किशनगंज लोकसभा में शामिल सिकटी विधान सभा को अररिया लोकसभा से जोड़ दिया गया. पहले सिकटी विस क्षेत्र में सिकटी व कुर्साकांटा प्रखंड के अलावा किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड की सभी पंचायतें आती थीं, लेकिन परिसीमन के बाद सिकटी व कुर्साकांटा को किशनगंज से अलग कर अररिया में जोड़ दिया गया.
इस क्षेत्र की समस्या-
बाढ़ कटाव ने इस क्षेत्र के लोगों को परेशान कर दिया है। क्षेत्र होकर बहने वाली बकरा और नूना से प्रतिवर्ष सैकड़ों एकड़ जमीन का कटाव होता है. नदियां कई सरकारी विद्यालयों व सैकड़ों घरों को बर्बाद कर चुकी हैं. लेकिन लोगों को बाढ़ व कटाव से अभी तक मुक्ति नहीं मिली है.
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मतदाताओं की संख्या-
कुल मतदाता- 2, 79102
पुरुष मतदाता - 1,46343
महिला मतदाता - 1,32752
पंचायतों की संख्या-37
अब तक चुने गये विधायक-
1990 मो. अजीमुद्दीन-जद
1995 रामेश्वर यादव-कांग्रेस
2000- आनंदी प्रसाद यादव-बीजेपी
2005 फरवरी- मुरलीधर मंडल-निर्दलीय
2005 नवंबर- मुरलीधर मंडल- जदयू
2010 आनंदी प्रसाद यादव-बीजेपी
2015 विजय कुमार मंडल-बीजेपी
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