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बिहार की राजनीति में भारी उथलपुथल के संकेत, जीतनराम मांझी ने 10 जुलाई को बुलाई कोर ग्रुप की बैठक

बिहार में महागठबंधन में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर ने 10 जुलाई को पार्टी के कोर समूह की बैठक बुलाई है.

Updated on: 06 Jul 2020, 11:46 PM

पटना:

बिहार में महागठबंधन में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर ने 10 जुलाई को पार्टी के कोर समूह की बैठक बुलाई है. माना जा रहा है कि जीतनराम मांझी की पार्टी बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपना रुख स्‍पष्‍ट कर सकती है. बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से जीतनराम मांझी और राजद नेता तेजस्‍वी यादव के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और मांझी की मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से नजदीकियां बढ़ी हैं. जीतनराम मांझी की पार्टी ने महागठबंधन के नेता के रूप में तेजस्‍वी यादव को स्‍वीकार करने से इनकार भी कर दिया था और शरद यादव के नेतृत्‍व में चुनाव लड़ने की सलाह दी थी. उसके बाद से महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था. अगर जीतनराम मांझी की पार्टी महागठबंधन से हटने का फैसला करती है तो यह राजद और कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका हो सकता है.

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हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने सोमवार को बताया कि महागठबंधन में समन्वय समिति बनाए जाने के लिए उनकी पार्टी द्वारा दी गई समय सीमा की मियाद ख़त्म हो जाने के बाद यह एक महत्वपूर्ण बैठक है. उन्होंने बताया कि उक्त बैठक में महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए जाएंगे. मोर्चा सेक्युलर के प्रदेश प्रवक्ता अमरेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि दल के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव संतोष कुमार सुमन ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के निर्देश पर उनके पटना स्थित आवास पर 10 जुलाई को उक्त बैठक बुलाई है. उन्होंने कहा कि 10 जुलाई को होने वाली इस बैठक में पार्टी द्वारा लिए गए निर्णयों की जानकारी 11 जुलाई को संवाददाता सम्मेलन में दी जाएगी‌.

उल्लेखनीय है कि मांझी आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में एक समन्वय समिति के गठन की मांग लगातार करते रहे हैं और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर के कोर समूह की गत 26 जून को आयोजित बैठक में इसके लिए 30 जून तक का समय दिया गया था.

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इस बीच, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने मांझी द्वारा घोषित 10 जुलाई के नए अल्टीमेटम पर राजद पर आरोप लगाया, "महागठबंधन में जीतन राम मांझी से ज्यादा बेइज्जती किसी पार्टी नेता की नहीं हुई''.

उन्होंने आरोप लगाया, ''यह सुनकर बहुत दु:ख होता है कि तेजस्वी यादव (राजद नेता) एक युवा है और एक बुजुर्ग, सम्मानित एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का कभी फोन तक नहीं उठाते हैं.’’ निखिल ने कहा, ''मांझी जी बिहार के एक पुराने सम्मानित नेता हैं. मांझी जी को अल्टीमेटम की नई तारीख पर स्पष्ट निर्णय लेकर अपना राजनीतिक सम्मान बचाना चाहिए."