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पंजाब के वोटरों ने ठोंकी ताली... 'गुरु' गुड़ हो गया 'चेला' शक्कर बन गया

आप की जीवन ज्योत को 37,258, कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू को 31,716 और शिरोमणि अकाली दल के बिक्रम सिंह मजीठिया को 24,213 मिले.

Updated on: 10 Mar 2022, 03:46 PM

highlights

  • अमृतसर पूर्व से हार के बाद नवजोत सिद्धु के सियासी सफर पर प्रश्नचिन्ह
  • उनके चेले भगवंत मान ने जीत दर्ज कर सीएम कुर्सी की तरफ बढ़ाए कदम

चंडीगढ़:

क्रिकेटर से कॉमेडियन और फिर राजनीति की पिच पर उतरे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2022) में करारी हार का मुंह देखना पड़ा है. पंजाब (Punjab) की सियासत में उथल-पुथल के प्रेरक तत्व बने सिद्धू अमृतसर पूर्व से आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी जीवन ज्योत ने हराया. रोचक बात यह है कि 'गुरु' विधानसभा चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे कर रहे थे, लेकिन उन्हें उनके ही 'चेले' और सीएम फेस भगवंत मान की लहर ने हिड विकेट करा दिया. हालांकि शिरोमणि अकाली दल के विक्रमजीत सिंह मजीठिया से वह जरूर आगे रहे. मिले वोटों की बात करें तो आप की जीवन ज्योत को 37,258, कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू को 31,716 और शिरोमणि अकाली दल के बिक्रम सिंह मजीठिया को  24,213 मिले.

कभी भगवंत मान के गुरु थे सिद्धू
गौरतलब है कि पंजाब के एक कॉमेडियन के रूप में जब भगवंत मान ने राष्ट्रीय टीवी पर कदम रखा था, तो उनके कॉमेडी शो को उस समय कांग्रेस के पंजाब प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू जज कर रहे थे. यह अलग बात है कि सियासी तौर पर अब दोनों ही इस चुनाव में एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी बन कर उभरे. पंजाब में आप की लहर चल रही थी, इसका पुख्ता संकेत रुझानों ने दे ही दिया. हालांकि भगवंत मान के शराब पीने की लत ने कई बार उनके लिए असहज स्थिति भी खड़ी की, लेकिन आप के टिकट पर चुनावी समर में उतरने से पहले उन्होंने शराब से तौबा कर ली. अब उनकी जीत कभी उनके गुरु रहे सिद्धू के लिए नासूर की तरह काम करेगी. 

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सिद्धू का राजनीतिक सफर 
अब बात करते हैं नवजोत सिंह सिद्धू की, जिन्होंने अपना राजनीतिक सफर 2004 में शुरू किया था. भाजपा के दिवंगत वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने 2004 में सिद्धू को भाजपा में शामिल किया था. इसके बाद सिद्धू भाजपा में रहने के दौरान भी और उसे छोड़ने के बाद भी हमेशा जेटली को ही अपना सियासी गुरु मानते रहे. 2004 में ही सिद्धू ने पहली बार अमृतसर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. सिद्धू ने कांग्रेस के कद्दावर नेता रघुनंदन लाल भाटिया को 1,09,532 वोटों से हराया था. 

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सियासी सफर हुआ मुश्किल
2006 में सिद्धू ने हत्या के आरोपों का सामना करने के बाद लोकसभा से अपना इस्तीफा दे दिया था. सुप्रीम कोर्ट की ओर से चुनाव लड़ने की इजाजत मिलने के बाद साल 2007 में अमृतसर से ही सिद्धू ने उप-चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस नेता सुरिंदर सिंगला को हराया. मोदी सरकार ने अप्रैल 2016 में सिद्धू को राज्यसभा में नामांकित किया. हालांकि उन्होंने भाजपा से 2016 को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था. 2017 में सिद्धू कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. इसके बाद उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला औऱ चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम बनने के बाद भी उनके खिलाफ तीखे तेवर बनाए रह. अब अमृतसर पूर्व से हारने के बाद सिद्धू के लिए सियासी सफर कहीं मुश्किल भरा हो गया है.