Gujarat Election 2022: BJP ने दो दशक बाद ईसाई उम्मीदवार को मैदान में उतारा, क्या कांग्रेस के गढ़ में लगेगी सेंध?
भाजपा के मोहन कोंकणी का मुकाबला व्यारा के चार बार के विधायक कांग्रेस के पुनाजी गामित से है. 48 वर्षीय कोंकणी, तापी जिले के व्यारा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा कैंडिडेट हैं. वे आदिवासी बहुल क्षेत्र से आते हैं.
highlights
- 20 सालों में पहली बार व्यारा में ईसाई उम्मीदवार को मैदान में उतारा
- व्यारा विधानसभा क्षेत्र के 2.23 लाख मतदाता
- यहां पर लगभग 45 प्रतिशत ईसाई आबादी है
नई दिल्ली :
गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat election 2022 ) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. इस बार गुजरात में बेहतर प्रदर्शन के लिए भाजपा अपने परांपरिक निर्णयों से हटकर नए-नए फैसले ले रही है. पार्टी ने बीते 20 सालों में पहली बार गुजरात के व्यारा में किसी ईसाई उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. इस सीट पर कांग्रेस कड़ी टक्कर देती दिख रही है. भाजपा के मोहन कोंकणी (Mohan konkani) का मुकाबला व्यारा (Vyara) के चार बार के विधायक कांग्रेस के पुनाजी गामित (Punaji Gamit) से है. 48 वर्षीय कोंकणी, तापी जिले के व्यारा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा कैंडिडेट हैं. वे आदिवासी बहुल क्षेत्र से आते हैं. व्यारा विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. गौरतलब है कि व्यारा विधानसभा क्षेत्र के 2.23 लाख मतदाता आते हैं. यहां पर लगभग 45 प्रतिशत ईसाई आबादी है. ईसाई धर्मांतरित 64 वर्षीय गामित ने 2007 से व्यारा विधानसभा सीट से कांग्रेस की अगुवाई की थी.
कोंकणी की पृष्टिभूमि एक किसान की है. वे 1995 से भाजपा के सक्रिय सदस्यों के रूप में रहे हैं. 2015 में, उन्होंने तापी जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस के सहकारी नेता मावजी चौधरी से चुनाव लड़ा और हराया. वर्तमान में वे तापी जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर काबिज हैं.
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मोहन कोंकणी ने भाजपा के इस फैसले पर आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, “मुझ पर विश्वास दिखाने के लिए मैं पार्टी का आभारी हूं. उन्होंने विश्वास दिखाते हुए कहा कि 1 दिसंबर (मतदान की तारीख) को वे व्योरा में इतिहास रचेंगे. उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि व्यारा के राजनीतिक माहौल में सुधार आया है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि 72 हजार ईसाई मतदाता का उन्हें समर्थन मिलेगा.
कोंकणी से जब व्यारा में भाजपा के अल्पसंख्यक समर्थन पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वे उनकी चिंताओं का समाधान करने में सक्षम हैं. भाजापा सबका साथ, सबका विकास के नारे पर चलती है. गुजरात में 182 विधानसभा सीटों पर 27 आदिवासी सीटों का दबदबा है. यहां पर कम से कम आठ सीटें मुख्य रूप से ईसाई बहुल की हैं. इस सीट पर वर्षों से कांग्रेस केवल ईसाई उम्मीदवार को मैदान में उतार रही है.
2007 के चुनावों के बाद से भाजपा और ईसाई आदिवासियों की बीच की दूरी लगातार कम होती रही. सहकारिता और डेयरी योजनाएं को आदिवासियों से जोड़कर देखा जाता है. इससे जनजातियों को सीधे आर्थिक लाभ मिल रहा है. आदिवासी ओडिशा के बाद गुजरात में सबसे बड़े वोट बैंक के रूप में माने जाते हैं.
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