logo-image

उपमुख्यमंत्री के लिए तारकिशोर-रेणु देवी का ही नाम क्यों? समझें BJP की रणनीति

नीतीश कुमार आज शाम 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे. वह बिहार के 37वें मुख्यमंत्री होंगे. नीतीश के शपथग्रहण से पहले दो नामों की काफी चर्चा हो रही है. पहला तारकिशोर प्रसाद और दूसरा रेणु देवी.

Updated on: 16 Nov 2020, 12:20 PM

पटना:

नीतीश कुमार आज शाम 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे. वह बिहार के 37वें मुख्यमंत्री होंगे. नीतीश के शपथग्रहण से पहले दो नामों की काफी चर्चा हो रही है. पहला तारकिशोर प्रसाद और दूसरा रेणु देवी. अब लगभग साफ हो चुका है कि बीजेपी की ओर से इन्हें उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा. इससे पहले बीजेपी तारकिशोर प्रसाद को बीजेपी विधानमंडल के नेता और रेणु देवी को उपनेता चुन चुकी है. 

यह भी पढ़ेंः मंत्री रह चुकी हैं बिहार की नई डिप्टी CM रेणु देवी, जानें उनका सियासी सफर

उपमुख्यमंत्री के लिए तारकिशोर-रेणु देवी ही क्यों
नीतीश कुमार के पिछले तीनों कार्यकाल के दौरान सुशील कुमार मोदी उपमुख्यमंत्री रहे हैं. इस बार बीजेपी सुशील मोदी की जगह अन्य चेहरों को आगे बढ़ा रही है. दरअसल तारकिशोर वैश्य समुदाय से आते हैं जबकि रेणु देवी को आगे लाने को अतिपिछड़ा वर्ग के साथ महिला को सियासी संदेश देने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. इस बार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने जमकर वोटिंग की. नीतीश कुमार की शराबबंदी का भी महिलाओं ने खुलकर समर्थन किया. ऐसे में बीजेपी ने महिला वर्ग को साधने के लिए रेणु देवी को आगे बढ़ाया है. 
 
तारकिशोर प्रसाद चार बार कटिहार से विधायक रह चुके हैं जबकि रेणु देवी बेतिया से विधायक रही हैं. गौर करने वाली बात यह है कि चुनाव के दौरान इन दोनों ही नेता का नाम सुर्खियों में नहीं था. एनडीए की बैठक में दोनों नेताओं के नाम एकाएक सामने आने पर सभी हैरान रह गए. रेणु देवी इससे पहले बीजेपी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद संभाल चुकी हैं, जबकि तारकिशोर पहली बार अहम पद के लिए चुने गए हैं. दरअसल विधानमंडल नेता ही पार्टी का चेहरा माना जाता है.  

यह भी पढ़ेंः कांग्रेस तो अब विकल्प भी नहीं रही... सिब्बल ने दिया आत्मनिरीक्षण पर जोर

तारकिशोर के जरिए वैश्य वर्ग को साधने की कोशिश
दरअसल बीजेपी ने तारकिशोर के जरिए वैश्य वर्ग को साधने की कोशिश की है. चूंकि वैश्य वर्ग बिहार ही नहीं देशभर में बीजेपी का वोटबैंक रहा है. सुशील कुमार मोदी भी वैश्य वर्ग से आते हैं. ऐसे में सुशील मोदी के जाने से कहीं वैश्य वर्ग नाराज ना हो इसलिए तारकिशोर को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जा रहा है. वहीं तारकिशोर को सुशील मोदी का करीबी भी माना जाता है. ऐसे में दोनों के बीच किसी भी तरह के मतभेद भी होने के आसार नहीं हैं. बिहार चुनाव में 24 विधायक ऐसे हैं जो वैश्य समुदाय से जीते हैं. इसमें सबसे अधिक 15 बीजेपी से ही हैं. तारकिशोर का आरएसएस से भी पुराना रिश्ता रहा है. वह आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न दायित्वों को निभा चुके हैं.   

अतिपिछड़ा व महिलाओं को साधने की कोशिश  
दूसरी तरफ बीजेपी ने महिलाओं को साधने के लिए बड़ा दांव खेला है. बीजेपी की जीत में महिलाओं को अहम योगदान रहा है. अतिपिछड़ा वर्ग के आने वाली रेणु देवी का नाम उपमुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्तावित कर बीजेपी ने एक तीर से दो निशान साधे हैं. न सिर्फ अति पिछड़ा वर्ग बल्कि महिलाओं को भी साधने में रेणु देवी का अहम योगदान रहेगा. बिहार में नोनिया, बिंद, मल्लाह, तुरहा जैसी अतिपिछड़ी जाति को बीजेपी के विचारधारा से जोड़ने में रेणु देवी एक ट्रंप कार्ड के तौर पर हो सकती हैं.