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कांग्रेस तो अब विकल्प भी नहीं रही... कपिल सिब्बल ने दिया आत्मनिरीक्षण पर जोर

कपिल सिब्बल ने सच्चाई स्वीकारते हुए कहा कि देश के लोग न केवल बिहार में, बल्कि जहां भी उपचुनाव हुए जाहिर तौर पर कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते. यह एक निष्कर्ष है.

Updated on: 16 Nov 2020, 10:36 AM

नई दिल्ली:

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली हार के बाद कांग्रेस की सबसे ज्यादा फजीहत हुई है. राजद के शिवानंद तिवारी सरीखे वरिष्ठ नेताओं समेत कांग्रेस के भी कुछ नेता परोक्ष-अपरोक्ष रूप से पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साध रहे हैं. इस कड़ी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक सी सूनामी फिर उठती दिख रही है. अब देश की सबसे पुरानी पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने फिर से आत्मनिरीक्षण की बात उठाई है. उनके पहले एक औऱ कांग्रेसी नेता तारिक अनवर भी लगभग यही बात कह चुके हैं. जाहिर है बिहार चुनाव परिणामों ने कांग्रेस खासकर गांधी परिवार को नेतृत्व परिवर्तन के जिन्न के समक्ष फिर से ला खड़ा किया है. 

लगातार हार ही मिल रही
अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में कपिल सिब्बल ने कहा, 'देश के लोग न केवल बिहार में, बल्कि जहां भी उपचुनाव हुए जाहिर तौर पर कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते. यह एक निष्कर्ष है. आखिर बिहार में एनडीए का विकल्प आरजेडी ही थी. हम गुजरात में सभी उपचुनाव हार गए. लोकसभा चुनाव में भी हमने वहां एक भी सीट नहीं जीती थी. उत्तर प्रदेश के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 2 फीसदी से भी कम वोट हासिल किए. गुजरात में हमारे तीन उम्मीदवारों ने अपनी जमानत खो दी. हालांकि, मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस इन सब बातों पर आत्मनिरीक्षण करेगी.'

संगठन बतौर कांग्रेस मने की गलती
कांग्रेस पार्टी ने छह साल तक अपने प्रदर्शन को लेकर आत्मनिरीक्षण क्यों नहीं किया? इस सवाल के जवाब में सिब्बल कहते हैं, 'ये संगठनात्मक रूप से कांग्रेस की गलती है. हम जानते हैं कि क्या गलत है. मुझे लगता है कि हमारे पास सभी उत्तर हैं. कांग्रेस पार्टी खुद ही सारे जवाब जानती है, लेकिन वे उन उत्तरों को पहचानने के इच्छुक नहीं हैं. अगर वे उन उत्तरों को नहीं पहचानते हैं, तो ग्राफ में गिरावट जारी रहेगी. यह अफसोसजनक है कि कांग्रेस अभी भी अलर्ट नहीं हो पा रही है. हमें इसे लेकर चिंतित हैं. आप नामांकित सदस्यों से यह उम्मीद नहीं करते हैं कि चुनाव के बाद चुनावों में कांग्रेस की लगातार गिरावट के कारणों के बारे में सवाल करना और उनकी चिंताओं को उठाना शुरू करें.'

लेटर बम भी फुस्स साबित हुआ
इस मामले में कोई बातचीत नहीं हुई है और नेतृत्व द्वारा बातचीत के लिए कोई प्रयास भी नहीं किया जा रहा है. चूंकि मेरे विचार व्यक्त करने के लिए कोई मंच नहीं है, इसलिए मैं उन्हें सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने के लिए विवश हूं. मैं एक कांग्रेसी हूं और एक कांग्रेसी रहूंगा. मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि कांग्रेस एक शक्ति संरचना का विकल्प प्रदान करेगी, जिनके लिए राष्ट्र खड़ा है.

कांग्रेस के लिए बहुत बुरी स्थिति 
सिब्बल ने कांग्रेस के लगातार मिल रही हार को स्वीकारते हुए यह भी कहा कि ये एक बुरी स्थिति है, वो भी लंबे समय से. हम वैसे भी बिहार में एक प्रभावी विकल्प नहीं हैं. हम 25 साल से अधिक समय से उत्तर प्रदेश में एक विकल्प नहीं हैं. ये बड़े राज्य हैं. यहां तक ​​कि गुजरात में भी जहां हम तीसरी ताकत के अभाव में विकल्प हैं... हमने लोकसभा की सभी सीटें खो दीं और वर्तमान उपचुनावों में हम बिल्कुल भी उभरकर सामने न आ पाए. इसलिए जहां हम एक विकल्प थे, उस राज्य के लोगों ने कांग्रेस पर अपना विश्वास नहीं दोहराया. इसलिए आत्मनिरीक्षण का समय समाप्त हो गया है. हम जवाब जानते हैं. कांग्रेस को बहादुर होना चाहिए और उन जवाबों को पहचान कर स्वीकार करना चाहिए.

विचार रखना, पार्टी विरोध नहीं
सिब्बल ने कहा, 'हम सभी वैचारिक रूप से कांग्रेस के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम उतने ही अच्छे कांग्रेसी हैं, जितने अन्य. कांग्रेसियों के रूप में हमारी साख पर संदेह नहीं किया जा सकता है. हमें दूसरों की साख पर शक नहीं है. विचार थोड़े अलग रखने का मतलब पार्टी की खिलाफत नहीं है. हम जो कह रहे हैं वह यह है कि हर संगठन को एक वार्तालाप की आवश्यकता है. इसका मतलब है कि दूसरों को सुनना. अगर आप दूसरों की बातें सुनना बंद कर देते हैं, तो आपकी कोई बातचीत नहीं होगी. बातचीत के अभाव में हम अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने में सफल नहीं हो सकते.'