logo-image

क्या कानपुर में 2017 को दोहरा सकती है BJP ? 10 मार्च पर टिकी है नजर

एक शहरी मतदाता ने कहा, अगर हम इसकी तुलना दिल्ली से करें तो इस शहर में स्वास्थ्य सेवा बहुत निराशाजनक है, जो कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान उजागर हुई थी.

Updated on: 21 Feb 2022, 10:34 AM

highlights

  • 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिला था भारी वोट
  • पिछली बार कानपुर 10 सीटों पर बीजेपी ने किया था सूपड़ा साफ
  • इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना वर्ष 1991 से विधायक

कानपुर:

वर्ष 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में कानपुर ने बीजेपी को भारी वोट दिया था. यह नोटबंदी के परिणामस्वरूप लोगों के बीच दिखे गुस्से के बावजूद था. तब भाजपा ने अपने सात में से दो विधायकों को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया था, जो कानपुर की 10 सीटों से जीते थे. इस बार यही बीजेपी है जो कानपुर में सत्ता बनाए रखने की कोशिश कर रही है. इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना वर्ष 1991 से कानपुर के विधायक हैं. यदि इस बार भी वह चुनाव जीत जाते है तो यह उनका आठवां विधानसभा चुनावी जीत होगा. मतदान के दिन उन्हें कान्हे-पुर के प्रिय भक्तों द्वारा भगवान कृष्ण की पूजा करते देखा गया. 

यह भी पढ़ें : UP चौथे चरण का चुनाव : BJP के कद्दावर नेता झेलेंगे BSP फैक्टर

महाना ने कहा, भगवान ने मुझे कानपुर के लोगों की सेवा करने के कई मौके दिए हैं. लोगों की सेवा करना सौभाग्य की बात है. यह वरदान उन्हीं को मिलता है जो सौभाग्यशाली होते हैं. मैं अक्सर खुद से पूछता हूं कि जनता मुझे ही क्यों चुनती है? पहला वह राजनीतिक दल है जिस पर वे भरोसा करते हैं, दूसरा उम्मीदवार है और उसने 5 साल के कार्यकाल में क्या किया है. महाराजपुर सीट से समाजवादी पार्टी द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वी को मैदान में उतारने की बात करते हुए उन्होंने कहा, वह अपने पूर्ववर्ती की तुलना में और भी अधिक वोटों से हारेंगे. यहां के मतदाता भी सपा के प्रति काफी गुस्सा है. मतदाताओं का कहना है कि इस सीट से सपा उम्मीदवार फतेह बहादुर नहीं जीतेंगे, क्योंकि उन्हें लगता है कि वह काफी मजबूत नहीं हैं और कानपुर के लोगों को संतुष्ट करने के लिए उनके पास कुछ नहीं है. कुछ ने तो यहां तक ​​कह दिया कि महाना के सामने कोई विकल्प नहीं है, लेकिन कुछ लोग जो दिल्ली से कानपुर शहरी क्षेत्र में मतदान करने आए थे, उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा उनके लिए एक बड़ा मुद्दा है.

एक शहरी मतदाता ने कहा, अगर हम इसकी तुलना दिल्ली से करें तो इस शहर में स्वास्थ्य सेवा बहुत निराशाजनक है, जो कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान उजागर हुई थी. कानपुर के किसी भी अस्पताल में देख लीजिए, आपको बिस्तर पाने में मुश्किल होगी. बेरोजगारी भी एक बड़ा मुद्दा है. कई युवा मतदाता कानपुर में काम करने के अधिक अवसर चाहते हैं. कई युवा मतदाताओं का कहना है कि कानपुर में नौकरी के लिए कोई विशेष अवसर नहीं है. 

जब बीजेपी की मेयर पर दर्ज किया गया प्राथमिकी

यूपी के कानपुर में, भाजपा की मेयर प्रमिला पांडे ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए वोट डालते हुए खुद को रिकॉर्ड किया और इसे सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसके बाद कानपुर के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया. बीजेपी के एक अन्य नेता नवाब सिंह ने भी इसी तरह की हरकत दोहराई.

उम्मीदवारों के चयन को लेकर लोगों में नाराजगी

कुछ लोगों का मानना ​​है कि बीजेपी उम्मीदवारों के चयन के कारण कानपुर में 2017 की पुनरावृत्ति नहीं करेगी. उदाहरण के लिए, पार्टी ने घाटमपुर सीट को सहयोगी अपना दल के लिए छोड़ दिया है, क्योंकि वह अपने मौजूदा विधायक कमल रानी के लिए एक रिप्लेसमेंट खोजने में विफल रही, जिनकी कोविड की वजह से मृत्यु हो गई थी. सपा प्रत्याशी बिल्हौर से भाजपा के वर्तमान विधायक भगवती प्रसाद सागर हैं. ओबीसी के वर्चस्व वाली सीट कल्याणपुर से कांग्रेस ने मुठभेड़ में मारे गए दुबे के एक सहयोगी की भाभी को मैदान में उतारा है. वह दावा करती हैं कि उसे ब्राह्मणों का समर्थन प्राप्त है. यह बीजेपी की मजबूत सीट रही है. बीजेपी नेता प्रेम लता कटियार ने 2012 तक चार बार जीत हासिल की थी, इससे पहले सपा के सतीश निगम ने उन्हें हराया था. वर्ष 2017 में कटियार की बेटी नीलिमा कटियार ने भाजपा के लिए सीट वापस ले ली. इस बार नीलिमा और निगम आमने-सामने हैं.

10 मार्च पर टिकी है निगाहें

कानपुर में मुस्लिम आबादी वाली सीटों पर भी हिजाब एक मुद्दा के रूप में सामने आया, जहां आर्य नगर में कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए, जहां हिजाब में महिलाओं को मतदान केंद्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी, उन्हें वोट देने जाने के लिए हिजाब उतारने के लिए कहा गया था. इस बार कानपुर और 10 विधानसभा सीटों में कुल मिलाकर 58.7% मतदान हुआ, जो सपा और भाजपा के भाग्य का फैसला करेगा. अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी वाली आरक्षित सीट बिल्लौर में 63 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि बिठूर में 62 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ. सभी की निगाहें 10 मार्च पर टिकी हैं जब कानपुरवासी ब्रिटिश राज के दौरान बने तत्कालीन औद्योगिक केंद्र के भाग्य का फैसला करेंगे.

2017 में किसको कितना प्रतिशत मिला था वोट

वर्ष 2017 में कानपुर की 10 सीटों में बीजेपी को बिल्हौर में 42% वोट, बिठूर में 49% वोट, कल्याणपुर में 48% वोट, गोविंद नगर में 60% वोट, किदवई नगर में 54% वोट, महाराजपुर में 56% वोट, घाटमपुर में 49% वोट हासिल हुआ था. वहीं सपा को सीसामऊ में 47% वोट और आर्यनगर में 48% वोट मिला था, जबकि कानपुर कैंट सीट पर कांग्रेस को 46% वोट मिला था.