Bihar Election: साख पर आई आंच तो नतमस्तक हुए नीतीश कुमार, पीएम मोदी बनेंगे खेवनहार
ओपिनयन पोल अगर मानक हैं तो बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में NDA आसानी से बहुमत हासिल करने जा रहा है और दूसरी तरफ रैलियों में भीड़ अगर मानक है तो तेजस्वी यादव बीजेपी और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू पर भारी पड़ते दिख रहे हैं.
नई दिल्ली:
Bihar Election 2020: ओपिनयन पोल अगर मानक हैं तो बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में NDA आसानी से बहुमत हासिल करने जा रहा है और दूसरी तरफ रैलियों में भीड़ अगर मानक है तो तेजस्वी यादव बीजेपी और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू पर भारी पड़ते दिख रहे हैं. दरअसल, बिहार में बीजेपी उस पार्टी के साथ है, जिसके चेहरे के साथ 15 साल की एंटी इनकमबेंसी फैक्टर जुड़ गया है. नि:संदेह नीतीश कुमार के 15 साल के शासन में बिहार लालू प्रसाद यादव के उस भयावह राज से बहुत आगे निकल चुका है, लेकिन अब वहीं बिहार रोजगार चाहता है, युवाओं का पलायन रोकना चाहता है, वहीं बिहार अब फैक्ट्रियों की स्थापना चाहता है.
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नीतीश कुमार की सहयोगी पार्टी भाजपा के लिए अच्छी बात यह है कि वह नीतीश कुमार के एंटी इनकमबेंसी की हिस्सेदार नहीं है और उसके साथ पीएम नरेंद्र मोदी की प्रो इनकमबेंसी फैक्टर है. इस बार नीतीश कुमार इसी प्रो इनकमबेंसी के सहारे एक बार फिर बिहार की सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं. हर बार की तरह पीएम नरेंद्र मोदी विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए के स्टार प्रचारक हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि पीएम नरेंद्र मोदी जिन क्षेत्रों में रैलियां करेंगे, वहां की अधिकांश सीटें बीजेपी और एनडीए के पक्ष में आएंगी. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में ऐसा नहीं हुआ था, लेकिन तब समीकरण अलग थे. बीजेपी और एलजेपी एक तरफ थी और बाकी दल एक तरफ थे. नीतीश कुमार भी महागठबंधन का हिस्सा थे.
इस बार महागठबंधन ने युवाओं को आकर्षित करने के लिए 10 लाख नौकरियां देने का बड़ा दांव खेल दिया है, जिसका जवाब नीतीश कुमार झुंझलाहट के साथ देते हैं. महागठबंधन के 10 लाख नौकरियों के जवाब में बीजेपी 19 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कर रही है. सभी पार्टियों का घोषणापत्र आ चुका है और इन घोषणापत्रों को देख कर ऐसा लग रहा है कि चुनाव जीतने के बाद जो सरकार बनेगी, वो जनता को अपना कलेजा निकालकर दे देगी. यह अलग बात है कि सरकार बन जाने के बाद जनता को जो मिलता है वह परसादी के अलावा कुछ होता नहीं है.
एनडीए के नेताओं को पीएम नरेंद्र मोदी की रैली से बड़ी आस थी, क्योंकि तेजस्वी यादव की रैलियों में उमड़ रही भीड़ बीजेपी और जेडीयू नेताओं को परेशान कर रही थी. एनडीए के नेता जानते थे कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जहां रैलियां करनी शुरू की, वहीं चुनाव की फिजा बदल जाएगी.
पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले ही दिन सासाराम, गया और भागलपुर में एक के बाद एक तीन रैलियां कर माहौल को एनडीए के पक्ष में मोड़ने की कोशिश की तो उधर नवादा में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने भी रैली की. रैली का जवाब रैली से दिया जा रहा है. महागठबंधन ने पीएम नरेंद्र मोदी के जवाब में राहुल गांधी को उतारा है लेकिन पता नहीं क्यों राहुल गांधी के मैदान में उतरते ही पीएम नरेंद्र मोदी का पलड़ा वैसे ही भारी हो जाता है.
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महागठबंधन ने इस बार वीडियो जारी कर नीतीश कुमार की सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा- बिहार में का बा तो एनडीए ने भी वीडियो जारी कर जवाब दिया- बिहार में ई बा. महागठबंधन जहां बिहार में नीतीश सरकार की कमियों की तरफ इशारा कर रहा है तो एनडीए का वीडियो मोदी और नीतीश सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहा है. एनडीए ने तो इसे बिहार की अस्मिता पर हमला भी करार दिया है.
महागठबंधन की ओर से जहां राहुल गांधी और तेजस्वी स्टार प्रचारक हैं तो वहीं एनडीए की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ, देवेंद्र फड़णवीस, रविशंकर प्रसाद जैसे कई नेताओं की लाइन लगी है. उधर, जेल में बंद लालू प्रसाद यादव भी चुनावी चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहे हैं. चुनावी महाभारत में आसमान में हेलीकॉप्टरों की गूंज सुनाई दे रही है तो वादों की बरसात ऐसे हो रही है जैसे चुनाव के बाद बिहार लंदन जैसा हो जाएगा. चुनावी बिसात पर प्यादे तैनात हो चुके हैं, शह-मात का दौर शुरू हो गया है और देखना यह होगा कि चेक एंड मेट कौन करता है.
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