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Assam Election: पूर्व CM तरुण गोगोई के बेटे गौरव गोगोई कैसे राजनीति में आएं, पढ़ें बॉयोग्राफी

इस चुनाव में कांग्रेस को अपने दिग्गज नेता तरुण गोगोई की कमी बहुत खल रही है. हालांकि इस कमी को तरुण गोगोई (Tarun Gogoi) के बेटे और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई (Gaurav Gogoi) बहुत हद तक भरते हुए दिखाई दे रहे हैं.

Updated on: 14 Mar 2021, 02:33 PM

highlights

  • असम में कांग्रेस को खल रही तरुण गोगोई की कमी
  • तरुण गोगोई के बेटे हैं गौरव गोगोई
  • गौरव ने सरकार बनाने का दावा किया

नई दिल्ली:

असम में जब से विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हुआ है. बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने अपनी कमर कस ली है. बीजेपी एक बार फिर से सत्ता में वापसी करना चाहती है, तो कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से बीजेपी को विपक्ष में बिठाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. हालांकि इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए ज्यादा मुश्किल है. इसका कारण साफ है कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम तरुण गोगोई (Tarun Gogoi) अब इस दुनिया में नहीं हैं. लिहाजा इस चुनाव में कांग्रेस को अपने दिग्गज नेता तरुण गोगोई की कमी बहुत खल रही है. हालांकि इस कमी को तरुण गोगोई (Tarun Gogoi) के बेटे और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई (Gaurav Gogoi) बहुत हद तक भरते हुए दिखाई दे रहे हैं. 37 वर्षीय गौरव कांग्रेस के युवा नेता हैं और असम के कलिएबोर सीट से दो बार से सांसद हैं. कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें लोकसभा का उपनेता नियुक्त किया गया है. 

गौरव गोगोई के पिता तरुण गोगोई मई 2001 से 2016 तक तीन कार्यकाल के लिए असम के मुख्यमंत्री रहे. उनका पिछले साल नवंबर में निधन हो गया था. तब से राज्य पार्टी काफी कमजोर हो गई थी. हालांकि अपने पिता की कमी को दूर करते हुए गौरव अब खुद मैदान में आए हैं. वे एक बार फिर से पार्टी को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. और इस चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं. 

परिचय

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4 सितंबर 1982 को दिल्ली में जन्में गौरव गोगोई को राजनीति विरासत में मिली है. उन्होंने सेंट कोलंबिया स्कूल से ग्रैजुएशन किया है. जबकि, इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी दिल्ली से 2004 में इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में भी डिग्री हासिल की है. पढ़ाई के बाद वे कुछ समय तक एक सेल्यूलर कंपनी की मार्केटिंग टीम में शामिल हो गए. हालांकि, बाद में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई करने अमेरिका चले गए. 

गौरव गोगोई का जन्म भले ही दिल्ली में हुआ हो लेकिन वे असम की राजनीति से भली-भांति परिचित हैं. उनके पिता 3 बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसलिए सरकार को चलाने का अनुभव उन्हें बखूबी है. वे अपने पिता से राजनीति की बारीकियों को सीखकर ही राजनीति में आए हैं और दो बार लोकसभा पहुंचे हैं. राजनीति में आने से पहले वे सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर जनता के बीच में कार्य करते थे. 

लव-लाइफ भी चर्चा में रही

गौरव गोगोई और उनकी एलिजाबेथ की लव स्टोरी की भी काफी चर्चा होती है. गौरव और उनकी एलिजाबेथ की मुलाकात अमेरिका में हुई थी. दोनों साल 2010 में पहली बार एक दूसरे से न्यूयॉर्क में मिले थे. दोनो साथ में संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की प्रतिबंध समिति की साथ में इंटर्नशिप कर रहे थे. एलिजाबेथ ब्रिटिश की रहने वाली हैं. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से पढ़ाई की है. अब दोनो दिल्ली में रह रहे हैं. 

राजनीतिक करियर

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अमेरिका से पढ़ाई करके जब वे भारत लौटे तो उन्होंने अपने पिता की तरह ही राजनीति में आने का फैसला किया. साल 2014 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली. इसी साल उन्हें कालीबोर के लिए भारतीय संसद के सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया. 1 सितंबर 2014 को उन्हें रेलवे पर स्थायी समिति का सदस्य बनाया गया. 15 सितंबर 2014 को उन्हें परामर्श समिति, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. इसके अलावा उन्हें लोकसभा सदस्य के सदस्यों के साथ प्रोटोकॉल मानदंडों के उल्लंघन और सरकारी अधिकारियों के अवमाननात्मक व्यवहार के सदस्य भी बनाया गया. 28 मार्च 2017 में मोदी सरकार में उन्हें रक्षा पर स्थायी समिति का सदस्य बनाया गया. 

CAA लागू नहीं होने देने का वादा किया

गौरव ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि यदि राज्य में उनकी सरकार बनती है तो वे CAA को लागू नहीं होने देंगे. उन्होंने नागरिकता संसोधन कानून को वोटों के लिए समाज को विभाजित करने का बीजेपी का राजनीतिक हथियार बताया. उन्होंने कहा कि यदि असम में उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर सीएए को प्रदेश में लागू करने नहीं दिया जाएगा और राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय में इससे जुड़े मामले में पक्षकार बनाया जाएगा. इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे कभी किसी पद के पीछे नहीं भागे और पार्टी के हिसाब से जो भूमिका फिट बैठती है उसके मुताबिक वह कांग्रेस की सेवा करने की आशा रखते हैं.