World Hindi Diwas: विश्व हिंदी पर पढ़ें दुनिया भर में फेसम कवि की बेहतरीन कविताएं

हर साल 10 जनवरी को विश्‍व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस खास दिन पर हिंदी की कई ऐसी कविताएं हैं जो आपके बेहद पसंद आएगी. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए योगदान देने वाले कविताओं और कवियों को कैसे भूल सकते हैं.

हर साल 10 जनवरी को विश्‍व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस खास दिन पर हिंदी की कई ऐसी कविताएं हैं जो आपके बेहद पसंद आएगी. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए योगदान देने वाले कविताओं और कवियों को कैसे भूल सकते हैं.

author-image
Priya Gupta
New Update
Ramdhari Singh Dinkar

Ramdhari Singh Dinkar Photograph: (social media)

World Hindi Diwas: हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस को मनाया जाता है. इस दिन को हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है. भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है. हिंदी की जब भी बात होती है तो कुछ कवियों को भूला नहीं जा सकता है. जिन्होंने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अपने योगदान दिया है. आज इस खास दिन पर कुछ खास कविओं के कविताओं को पढ़ें जिसे सुनकर आपको अच्छा लगेगा.

Advertisment

रामधारी सिंह दिनकर

नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अन्तर्मन,
तब सुख के मिले समन्दर का
रह जाता कोई अर्थ नहीं ।।

जब फसल सूख कर जल के बिन
तिनका -तिनका बन गिर जाये,
फिर होने वाली वर्षा का
रह जाता कोई अर्थ नहीं ।।

सम्बन्ध कोई भी हों लेकिन
यदि दुःख में साथ न दें अपना,
फिर सुख में उन सम्बन्धों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं ।।

छोटी-छोटी खुशियों के क्षण
निकले जाते हैं रोज़ जहां,
फिर सुख की नित्य प्रतीक्षा का
रह जाता कोई अर्थ नहीं ।।

मन कटुवाणी से आहत हो
भीतर तक छलनी हो जाये,
फिर बाद कहे प्रिय वचनों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।।

सुख-साधन चाहे जितने हों
पर काया रोगों का घर हो,
फिर उन अगनित सुविधाओं का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं
वरदान माँगूँगा नहीं

स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं

क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही
वरदान मांगूंगा नहीं

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्यर्थ त्यागूँगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूँगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं

ये भी पढ़ें-यहां के मदरसों ने कामिल-फाजिल कोर्स किया बंद, ये प्रोग्राम UGC नियमों के मुताबिक नहीं

ये भी पढ़ें-बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेजों में इतनी सीटें रह गईं खाली, लड़कियों की कंप्यूटर साइंस में बढ़ी दिलचस्पी

Latest Education News Ramdhari Singh Dinkar World Hindi Diwas Hindi Diwas Hindi Diwas History Education News Hindi hindi diwas 2024
      
Advertisment