अशोका यूनिवर्सिटी (Ashoka University) पर फाइनेंसियल एम्बेजमेंट का आरोप लगाया है. हरियाणा के उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य के निजी यूनिवर्सिटी अधिनियम के प्रावधानों के के अनुसार, राज्य से पर्याप्त छात्रों को प्रवेश नहीं देने या उन्हें शुल्क में रियायत देने के लिए कारण बताओं नोटिस जारी किया है. स्टेट के प्राइवेट अधिनियम 2006 के अनुसार राज्य में एक यूनिवर्सिटी को हरियाणा अधिवास के पक्षों के प्रवेश के लिए न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करनी होगी. इनमें से 10 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षित होनी चाहिए. अधिनियम में यह भी कहा गया है कि एक यूनिवर्सिटी को ऐसे छात्रों के लिए शुल्क में छूट प्रदान करना चाहिए. इसमें से 25 प्रतिशत के एक-पांचवे हिस्से को पूर्ण शुल्क में छूट दी जानी चाहिए, और दो-पांचवे हिस्से को 50 प्रतिशत शुल्क में छूट देनी चाहिए. शेष को 25 प्रतिशत शुल्क में छूट मिलनी चाहिए.
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सरकार ने कहा है कि हरियाणा अधिवास के छात्रों का नामांकन सभी पाठ्यक्रमों में कम है. सरकार ने कहा कि आंकड़ों में पता चला है कि अशोका यूनिवर्सिटी ने मानदंडों की अवहेलना की है और एडमिशन के आंकड़ों में हेराफेरी की है. इसलिए युनिवर्सीटी को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है.
यूनिवर्सिटी ने कहा कि उसने अधिनियम की आवश्यकताओं का सख्ती से पालन किया है. राज्य से एडमिशन लेने वाले सभी छात्रों को शुल्क में छूट मिली है. यूनिवर्सिटी ने आगे कहा वह अपने 45 प्रतिशत अधिक छात्रों को पूरे साल में वित्तीय सहायता की पेशकश की है, जो कि स्कॉलरशिप में 325 करोड़ रुपये से अधिक है और यह अधिनियम की आवश्यकताओं से अलग भी है.
यूनिवर्सिटी ने यह भी दावा किया है कि उसने अधिनियम के धारा 35 के अनुसार योग्यता के आधार पर छात्रों को एडमिशन दिया है. यूनिवर्सिटी ने कहा कि राज्य के किसी भी मेधावी छात्र को किसी भी सीट से वंचित नहीं किया गया है. इसके अलावा, जो सीटें राज्य कोटे के माध्यम से नहीं भरी गई, वे सीटें ज्यादातर खाली हैं. अशोका यूनिवर्सिटी ने बताया कि उसने सरकार के कारण बताओं नोटिस का जवाब दिया है.
HIGHLIGHTS
- अशोका यूनिवर्सिटी फाइनेंसियल एम्बेजमेंट का लगा आरोप
- जारी हुआ कारण बताओं नोटिस