logo-image

दिल्ली के स्कूलों में 'नो-डिटेंशन' नीति खत्म करने के खिलाफ हैं अभिभावक

दिल्ली सरकार ने आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए 'नो-डिटेंशन पॉलिसी' को हटाने का निर्णय लिया है. इसके लागू होने पर पढ़ाई में कमजोर छात्रों को उनकी कक्षा में रोका या फेल किया जा सकेगा.

Updated on: 26 Jun 2022, 05:00 PM

highlights

  • अब क्लास 8 तक के कमजोर बच्चे किए जा सकेंगे फेल
  • अभी तक नियम के तहत कमजोर बच्चे होते थे प्रमोट
  • पैरेंट्स एसोसिएशन का आरोप इस तरह बढ़ेगा बाल श्रम

नई दिल्ली:

दिल्ली सरकार ने स्कूलों में 'नो-डिटेंशन' नीति को खत्म करने की एक पहल की है. इस समय शिक्षा के अधिकार (आरटीई) नियमों के तहत कोई भी बच्चा कक्षा 8 तक फेल नहीं होता है. अब यह राज्यों पर निर्भर है कि वे इस नीति को जारी रखना चाहते हैं या नहीं. दिल्ली सरकार ने आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए 'नो-डिटेंशन पॉलिसी' को हटाने का निर्णय लिया है. इसके लागू होने पर पढ़ाई में कमजोर छात्रों को उनकी कक्षा में रोका या फेल किया जा सकेगा. दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने अधिसूचित किया है कि दिल्ली में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियम 2011 में संशोधन किया गया है. दिल्ली की सरकार ने आरटीई में डिटेंशन नियम लागू करने का फैसला किया है. ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने इसे गलत फैसला बताया है.

निजी स्कूलों की शुरू होगी मनमानी
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी कभी असफल नहीं होता, शिक्षक या संस्था ही असफल होती है. यह अपनी स्वयं की विफलता को छिपाने और बच्चे के खराब प्रदर्शन के लिए बच्चे और उसके माता-पिता को दोष देने का उपकरण होगा. पेरेंट्स एसोसिएशन के मुतबिक, इससे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई छोड़ने और बाल श्रम में वृद्धि होगी. निजी स्कूल इसे पैसा बनाने के उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने कहा, 'मेरे सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जहां प्राइवेट स्कूल पहले किसी छात्र को फेल करते हैं, फिर प्रमोशन के लिए पैसे मांगते हैं. इस तरह का नियम किसी गरीब बच्चे की मदद नहीं करेगा, बल्कि गरीब बच्चे उसका शिकार बनेंगे. 2012 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का अधिकार माता-पिता या संस्था नहीं, बल्कि बाल केंद्रित है.'

शिक्षकों के हाथ लगा उत्पीड़न का एक हथियार
अभिभावकों का मानना है कि यह संशोधन इस कानूनी सिद्धांत के खिलाफ काम करेगा. कई सरकारी शिक्षक बहुत खुश होंगे, क्योंकि वे हमेशा छात्र को पीटने का अधिकार और उन्हें फेल करने का अधिकार चाहते हैं. इस संशोधन के द्वारा शिक्षकों को इन दोनों में से कम से कम एक अधिकार तो मिल गया है.