केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के अंतर्गत स्कूली शिक्षा में बड़े बदलाव किए गए हैं. नई नीति में स्कूली शिक्षा में आमूलचूल सुधार का खाका तैयार किया गया है जिसमें बोर्ड परीक्षा को सरल बनाने, पाठ्यक्रम का बोझ कम करने के साथ ही बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर दिया गया है. नई नीति में विद्यार्थियों को कौशल या व्यावहारिक जानकारियां देने तथा पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी.
यह भी पढ़ें: पीएम मोदी ने किया मॉरीशस में सुप्रीम कोर्ट के नए भवन का उद्घाटन, बताया सम्मान का प्रतीक
जानिए यह 20 बड़ी बातें
- नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में 10+2 फॉर्मेट को खत्म कर दिया गया है.
- अब 5 + 3 + 3 + 4 की नयी पाठयक्रम संरचना लागू की जाएगी
- अब 5वीं तक प्राइमरी स्कूल, 6 से 8वीं तक माध्यमिक स्कूल, 8 से 11वीं तक हाईस्कूल और 12 से आगे ग्रुजेशन होगी.
- अब कोई भी डिग्री 4 साल की होगी.
- नई प्रक्रिया के अंतर्गत छठी कक्षा के बाद से ही वोकेशनल एजुकेशन की शुरूआत हो जाएगी.
- 8 वीं से 11 वीं तक के छात्र विषय चुन सकते हैं.
- नई नीति में सभी ग्रेजुएशन कोर्स में मेजर और माइनर की व्यवस्था होगी. जैसे- साइंस स्टूटेंड्स के लिए फिजिक्स मेजर होगी और वह म्यूजिक को माइनर के तौर पर चुन सकते हैं. या यूं कहें कि फिजिक्स ऑनर्स के अब म्यूजिक को भी लिया जा सकता है.
- सभी उच्च शिक्षण संस्थान एक ही नियामक द्वारा संचालित होंगे.
- UGC और AICTE का युग खत्म. अब उच्च शिक्षा के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी.
- सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे.
- देश में सभी तरह के शिक्षकों के लिए नए शिक्षक प्रशिक्षण बोर्ड की स्थापना की जाएगी. इसमें कोई भी राज्य बदलाव नहीं कर सकता है.
- किसी भी कॉलेज के लिए मान्यता का स्तर समान रहेगा. इसकी रेटिंग के आधार पर कॉलेज को स्वायत्त अधिकार और फंड मिलेगा.
- घर में 3 साल तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए माता-पिता के लिए और 3 से 6 साल तक प्राइमरी स्कूल के लिए सरकार द्वारा नया बुनियादी शिक्षण कार्यक्रम बनाया जाएगा.
- नई शिक्षा नीति में छात्रों के लिए विभिन्न शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में मल्टिपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम होगा.
- प्रत्येक वर्ष के छात्र के लिए स्नातक के लिए क्रेडिट सिस्टम में कुछ क्रेडिट मिलेंगे, जिसका वह उपयोग कर सकता है. यदि कोई छात्र पढ़ाई छोड़ता है और फिर पूरा कोर्स करने के लिए फिर से वापस आता है तो.
- सभी स्कूलों की परीक्षा साल में दो बार सेमेस्टर वाइज होगी.
- अनुभव आधारित शिक्षण पर अधिक फोकस करने के लिए पाठ्यक्रम को कम किया जाए.
- छात्र व्यावहारिक और अनुप्रयोग ज्ञान पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएंगे.
- नई शिक्षा नीति के मुताबिक, यदि कोई छात्र इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम 2 वर्ष में ही छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा. 1 वर्ष में सर्टिफिकेट और कोर्स पूरा करने पर डिग्री प्रदान की जाएगी. ऐसे किसी भी छात्र का कोई भी साल बर्बाद नहीं होगा, यदि वह बीच में पढ़ाई छोड़ देता है तो.
- सभी विश्वविद्यालयों के सभी स्नातक पाठ्यक्रम फ़ीड प्रत्येक पाठ्यक्रम पर कैपिंग के साथ एकल प्राधिकरण द्वारा शासित होंगे.
यह भी पढ़ें: सरकारी और निजी स्कूलों के लिए अब एक जैसे नियम, मनमानी और फीस पर लगेगी लगाम