सेट पर साइकिल से आते हैं शब्बीर अहलूवालिया, कहा- इससे फिटनेस और मानसिक शांति दोनों मिलती है
नॉर्वे शतरंज में चौथी जीत के बाद गुकेश गौरव के करीब
प्रधानमंत्री मोदी ने चेनाब पुल पर तिरंगा लहराया, पहलगाम की साजिश रचने वालों को करारा जवाब
आईपीएल में शानदार प्रदर्शन, अब एनईसीओ मास्टर ब्लास्टर की कप्तानी के लिए उत्साहित जितेश शर्मा, कहा- जोश हाई है
दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता को मिला नया सरकारी आवास, 100 दिन बाद हुआ आवंटन
भूत की बाहें पकड़कर झूला झूल रही है Cute लड़की? कैमरे में कैद हुई डरावनी घटना
चयनकर्ताओं के लिए चयन को मुश्किल करना चाहते हैं स्कॉट बोलैंड, डब्ल्यूटीसी फाइनल पर नजरें
Eid ul Adha 2025 Wishes : इन खास संदेशों और कोट्स के साथ अपने भाई-बंधुओं को दें ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद
'लाफ्टर शेफ्स' के सेट पर जब थम गई सभी की सांसें, शेफ हरपाल सिंह ने किया खुलासा

New education policy: सरकारी और निजी स्कूलों के लिए अब एक जैसे नियम, मनमानी और फीस पर लगेगी लगाम

नई नीति में 2030 तक शत-प्रतिशत बच्चों को स्कूली शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्य है. इसके अलावा राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण में अब सरकारी और निजी स्कूलों को भी शामिल किया गया है.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
School

सरकारी और निजी स्कूलों के लिए अब एक नियम, लगेगी मनमानी और फीस पर लगाम( Photo Credit : फाइल फोटो)

नई शिक्षा नीति (New education policy) में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गए हैं. नीति में स्कूली शिक्षा में आमूलचूल सुधार का खाका तैयार किया गया है, जिसमें बोर्ड परीक्षा को सरल बनाने, पाठ्यक्रम का बोझ कम करने के साथ ही बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर दिया गया है. नई नीति में 2030 तक शत-प्रतिशत बच्चों को स्कूली शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्य है. इसके अलावा राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण में अब सरकारी और निजी स्कूलों को भी शामिल किया गया है. पहली बार सभी सरकारी और निजी स्कूलों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे. इससे निजी स्कूलों की मनमानी के साथ-साथ फीस पर लगाम भी लगेगी.

Advertisment

यह भी पढ़ें: मॉरीशस में सुप्रीम कोर्ट के नए भवन का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी, मॉरीशस के पीएम भी रहेंगे सााथ

10 प्लस दो की जगह होगा 5 प्लस, 3 प्लस, 3 प्लस 4 का नया सिस्टम

नई शिक्षा नीति में अब स्कूली शिक्षा में 10+ दो की जगह 5+3+3+4 का नया सिस्टम लागू किया गया है. इसके तहत छात्रों को 6 अलग-अलग वर्गों में बांटा में बांटा गया है. पहले वर्ग (5) में 3 से 6 साल की उम्र के बच्चे होंगे, जिन्हें प्री प्राइमरी या प्ले स्कूल से लेकर कक्षा दो तक की शिक्षा दी जाएगी. इसके बाद कक्षा 2 से 5 तक का पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा. फिर कक्षा 5 से 8 तक और आखिरी में 4 सालों के लिए 9 से लेकर 12वीं तक के छात्रों को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक कार्यक्रम बनाया गया है.

मिड-डे-मील के साथ अब नाश्ता भी

ग्रामीण, पिछड़े और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए स्कूलों में नाश्ता दिया जाएगा. अब तक मिड-डे मील में दोपहर का भोजन मिलता था, लेकिन अब इसी साल से पौष्टिक नाश्ता भी दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त शारीरिक जांच के आधार पर सभी बच्चों को हेल्थ कार्ड दिए जाएंगे. करियर और खेल-संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए एक विशेष डे-टाईम बोर्डिग स्कूल के रूप में 'बाल भवन' स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

यह भी पढ़ें: अंबाला में लैंडिंग से 20 मिनट पहले बदला गया था राफेल का लैंडिंग डायरेक्शन, ये वजह आई सामने

बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने की नई नीति में पहल

बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने की नई नीति में पहल की गई है. बोर्ड परीक्षा को दो भागों में बांटा जा सकता है जो वस्तुनिष्ठ और विषय आधारित हो सकता है. शिक्षा का माध्यम पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा या घर की भाषा में होगा. बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप में बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट कार्ड की बात कही गई है. हर कक्षा में जीवन कौशल परखने पर जोर होगा ताकि जब बच्चा 12वीं कक्षा में निकलेगा तो उसके पास पूरा पोर्टफोलियो होगा.

पारदर्शी और ऑनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर

इसके अलावा पारदर्शी और ऑनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है. ऐसी जगह जहां पारंपरिक और व्यक्तिगत शिक्षा का साधन न हो, वहां स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई-माध्यमों से मुहैया कराया जाएगा. इसके लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) का गठन होगा. जो उद्देश्य प्राइमरी से उच्च और तकनीकी शिक्षा तक में प्रौद्योगिकी का सही इस्तेमाल करना है.

यह भी पढ़ें: सीमा तनाव के बीच चीन ने भारत से किया इस उत्पाद का रिकॉर्ड इंपोर्ट, जानिए क्या है वो

वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में हुई थी तैयार

गौरतलब है कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गई थी. नई शिक्षा नीति का विषय 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शासनकाल में 1985 में शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था. इसके अगले वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई थी.

Source : News Nation Bureau

Education Policy new education policy
      
Advertisment