Exclusive: आतंकवाद के साए से निकलकर 3 भाई-बहन बने अफसर, देश प्रेम की भावना ने किया प्रेरित

जम्मू कश्मीर के एक परिवार के तीन भाई-बहनों ने वो कर दिखाया है जो आज तक जम्मू कश्मीर में किसी और ने नहीं किया. आतंकवाद के साए से निकल कर इस परिवार के तीनों बच्चों ने एक साथ जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा पास करने में सफलता हासिल की है.

जम्मू कश्मीर के एक परिवार के तीन भाई-बहनों ने वो कर दिखाया है जो आज तक जम्मू कश्मीर में किसी और ने नहीं किया. आतंकवाद के साए से निकल कर इस परिवार के तीनों बच्चों ने एक साथ जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा पास करने में सफलता हासिल की है.

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Deepak Pandey
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आतंकवाद के साए से निकलकर 3 भाई-बहन बने अफसर( Photo Credit : File Photo)

जम्मू कश्मीर के एक परिवार के तीन भाई-बहनों ने वो कर दिखाया है जो आज तक जम्मू कश्मीर में किसी और ने नहीं किया. आतंकवाद के साए से निकल कर इस परिवार के तीनों बच्चों ने एक साथ जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा पास करने में सफलता हासिल की है. जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा एक साथ पास करने वाली इन दो बहनों का नाम हुमा अंजुम वानी और इफरा अंजुम वानी है, जबकि उनके भाई का नाम सुहैल अहमद वानी है, जो डोडा जिले के कहरा इलाके के ट्रानखाल गांव से ताल्लुक रखते हैं.

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डोडा जिला का ये इलाका कभी आतंकवाद का गढ़ माना जाता था, जहां से किसी का निकलना नामुमकिन था. इन सब मुश्किलों के बीच न केवल ये परिवार इस इलाके से बाहर निकला, बल्कि उन्होंने अपने बच्चों खास तौर पर अपनी दोनों बेटियों को प्रशासनिक अधिकारी बनने में भी कामयाबी हासिल कर ली.

आतंकवाद ग्रस्त इलाके से तालुक रखने वाले इन तीनों भाई बहनों के लिए इस परीक्षा को उत्तीर्ण करना आसान नहीं था, जिस गांव में ये परिवार रहता था उस गांव में एक समय में आतंकियों ने वहां के स्कूल में आग तक लगा दी थी. वहां किसी का भी खास तौर पर बेटियों का आगे पढ़ना काफी मुश्किल था. ऐसे में इन बच्चों के पिता ने उस इलाके से बाहर निकलने का फैसला किया. उन्होंने अपने तीनों बच्चों को किश्तवाड़ के एक स्कूल में दाखिला दिलवाया. आर्थिक तंगी को परिवार ने बच्चों की पढ़ाई खास तौर पर बेटियों की पढ़ाई में कभी आगे नहीं आने दिया. परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए तीनों बच्चों ने भी हर मुश्किल को चुनौती से लिया. पढ़ने के लिए इन तीनों भाई बहनों के पास एक ही किताब होती थी, जिसे ये बारी बारी पड़ते थे. परीक्षा में सफल होने के लिए इन बच्चों ने किसी तरह की कोई कोचिंग भी नहीं ली.

इन तीनों की इस उपलब्धि को हासिल करने में सबसे बड़ी ताकत उनके मन में देश प्रेम की भावना बनी, जो शुरू से ही उनके पिता ने उन्हें दी. तीनों भाई बहन देश और समाज की प्रगृति को लेकर कुछ बड़ा करना चाहते थे और आज प्रशानिक सेवा में जगह बनाकर उन्हें ये मौका मिल गया. तीनों की इस उपलब्धि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी एक बड़ा योगदान रहा, जो भाई-बहनों के रोल मॉडल थे. जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत निचले स्तर से अपने सफर को शुरू किया उसी ने इन भाई बहनों को भी प्रेरित किया की. वो भी जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देख सकते हैं. वहीं, भाई बहनों का जम्मू कश्मीर के हर युवा नौजवानों के लिए यही संदेश है कि वो भी मेहनत करें और देश की तरक्की में अपना योगदान दें. 

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आतंकवाद के साए से निकलकर जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा में जगह बनाकर इन तीनों भाई बहनों ने मिसाल तो कायम की है, लेकिन इसके साथ ही जम्मू कश्मीर के भटके हुए नौजवानों को नई राह भी दिखाई है, जो आगे बढ़ने का रास्ता तलाश कर रहे हैं. 

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