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Russia Ukraine War : छात्रों की पढ़ाई पूरी करवाएं, AICTE ने संस्थानों को लिखा

AICTE ने पत्र में लिखा है कि लगभग 20 हजार भारतीय छात्र युद्धग्रस्त यूक्रेन से स्वदेश वापस लौटे हैं. यूक्रेन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधूरी छोड़कर लौटे छात्र गहरी हताशा में हैं.

Updated on: 12 Apr 2022, 08:44 AM

highlights

  • यूक्रेन से MBBS और इंजीनियरिंग के लगभग 20 हजार भारतीय छात्र लौटे हैं
  • यूक्रेन से लौटे छात्रों को ध्यान में रखते हुए AICTE ने तकनीकी संस्थानों को लिखा
  • यूक्रेन में MBBS की डिग्री लेने में औसत छह और इंटर्नशिप के दो साल लगते हैं

New Delhi:

रूस-यूक्रेन युद्ध ( Russia Ukraine War) के कारण अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर स्वदेश लौटे भारतीय छात्रों के लिए अच्छी खबर है. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने देश के तकनीकी संस्थानों से कहा है कि वे अपने खाली सीटों के लिए उन छात्रों को दाखिला देने पर विचार करें. यूक्रेन में एमबीबीएस और इंजीनियरिंग कर रहे लगभग 20 हजार भारतीय छात्रों को युद्ध के कारण वापस लौटना पड़ा है. बीते दिनों यह अहम विषय संसद में भी उठाया गया था.

यूक्रेन से लौटे छात्रों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए एआईसीटीई ने तकनीकी शिक्षण संस्थानों को एक पत्र लिखा है. एआईसीटीई ने पत्र में लिखा है कि लगभग 20 हजार भारतीय छात्र युद्धग्रस्त यूक्रेन से स्वदेश वापस लौटे हैं. यूक्रेन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधूरी छोड़कर लौटे छात्र गहरी हताशा में हैं. मजबूरी में लौटने की वजह से उनका भविष्य फिलहाल अधर में लटकता दिखता है. इसलिए उनके प्रति सहानुभूति के साथ विचार करने की जरूरत है.

कोर्स पूरा करने के लिए यूक्रेन जाने का चांस कम

एमबीबीएस करने की चाहत में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र-छात्राएं यूक्रेन का रुख करना पसंद करते हैं. जानकारी के मुताबिक वहां पढ़ाई का खर्च कम आता है. इसके अलावा वहां भारत के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के मुकाबले प्रतिस्पर्धा बहुत कम या नहीं है. रूस-यूक्रेन में जारी युद्ध से पैदा मौजूदा संकट में यह कहना मुश्किल है कि प्रभावित छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के लिए यूक्रेन लौटने की कब अनुमति मिल पाएगी.

दोनों देशों में एडमिशन की व्यवस्थाएं अलग

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने विदेश में चिकित्सा स्नातक (FMG) करने वालों के लिए 2021 में नियम जारी किए थे. इस नियम के अनुसार एमबीबीएस प्रोग्राम के बीच में किसी विदेशी विश्वविद्यालय से भारतीय विश्वविद्यालय में स्थानांतरण का प्रावधान नहीं है. दोनों देशों में प्रवेश के दिशानिर्देश और चयन के मानक अलग-अलग होने की वजह से यह व्यवस्था बनाई गई थी. 

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भारतीय छात्रों को पढ़ाई जारी रखने में मदद

यूक्रेन में एमबीबीएस की डिग्री लेने में औसत छह साल लगते हैं. वहीं इंटर्नशिप के लिए दो वर्ष अतिरिक्त रखते हुए किसी उम्मीदवार को लाइसेंस के आवेदन के लिए 10 साल की अवधि में केवल दो साल बचते हैं. इसके चलते एआईसीटीई ने विभिन्न संस्थानों से अनुरोध किया है कि वे संबंधित वर्षो में उपलब्ध रिक्त सीटों के लिए यूक्रेन से लौटे छात्रों की उम्मीदवारी पर विचार करें. इससे भारतीय छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने में मदद मिल सकेगी.