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CBSE बदलेगा का पढ़ाई का पुराना पैटर्न Photograph: (Social Media)
CBSE News: नई शिक्षा नीति के तहत अब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) छात्रों की पढ़ाई के साथ परीक्षा के तरीकों में भी बदलाव करने जा रहा है. जिसके तहत अब छात्र स्कूलों में कोर्स को याद कर के ही परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे. बल्कि उन्हें इस बात का भी प्रमाण देने होगा कि जो पढ़ाई उन्होंने की है असल जीवन में वे उसका इस्तेमाल कैसे कर पाएंगे.
जिसके लिए सीबीएसई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत, एक नया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू करने जा रहा है. जिससे पता चलेगा कि छात्रों ने अपने विषयों को कितना समझा और उसे वे अपने जीवन में किस प्रकार से इस्तेमाल करेंगे. इस प्लेटफॉर्म के जरिए बोर्ड छात्रों को वर्तमान युग की स्किल्स यानी 21वीं सदी की स्किल्स के लिए तैयार करेगा.
पढ़ाई का जरूरी हिस्सा होगा नया प्लेटफॉर्म
बता दें कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की इस नई योजना में परीक्षा को पढ़ाई का जरूरी हिस्सा न मानकर उनके स्किल डेवलपमेंट पर काम करेगा. बता दें कि नई शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश है कि छात्रों के मूल्यांकन का तरीका बदलना चाहिए. सीबीएसई का नया प्लेटफॉर्म 3, 5 और 8 क्लास के सभी बच्चों की खास तरह की परीक्षा लेगा. जिसे SAFAL यानी लर्निंग एनालिसिस के लिए स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट कहा जाता है. जिसका मकसद बच्चों की बुनियादी समझ और सोच-विचार की शक्ति को परखना है. इस प्लेटफॉर्म से स्कूलों बच्चे के बारे में ये जान पाएंगे कि उसे कहां अधिक ध्यान देने की जरूरत है.
बच्चों की काबिलियत पर फोकस करेगा परीक्षा का नया तरीका
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट कहा गया है कि परीक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जिससे बच्चों को आगे बढ़ने में मदद मिले, ना कि सिर्फ वे कोर्स को याद कर लें और उससे उनकी याद करने की शक्ति को चेक किया जाए. सीबीएसई इसी को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है. उसने पहले ही सीबीएसई ने कक्षा 6 से 10 के लिए भी योग्यता-आधारित परीक्षा का ढांचा शुरू कर दिया है. जिसमें विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे मुख्य विषयों पर अधिक जोर दिया जाता है.
बच्चों की समझ की होगी जांच
बता दें कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत SAFL को लागू करने से सीबीएसी कक्षा 3, 5 और 8 के छात्रों का मूल्यांकन करेगा. जिसका मकसद यह है कि बच्चों की मूल बातें, ज्ञान का सही उपयोग और उनकी तेज सोचने की क्षमता को परखना है. जिसका आंकलन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म किया जाएगा. जिसका परिणाम जल्दी और सही समय पर मिल सकेगा. साथ ही इस प्लेटफॉर्म के जरिए स्कूलों को बच्चों की कमजोरियों के बारे में भी पक्की जानकारी मिल सकेगी. जिससे उन बच्चों पर अधिक ध्यान दिया जा सकेगा.
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