CBSE Board 12th Exam: बिना परीक्षा होंगे पास, ऐसे तैयार होगा रिजल्ट
सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा रद्द होने पर तमाम छात्रों को चिंता सता रही है कि यदि प्री बोर्ड के आधार पर रिजल्ट बनेगा, तो परसेंटेज कम आ सकते हैं, क्योंकि प्री बोर्ड में स्कूल टाइट मार्किंग करते हैं, जिससे स्टूडेंट और पढ़ाई करे.
highlights
- पीएम मोदी ने कोरोना के कारण रद्द की परीक्षा
- बोर्ड 10वीं की तरह 12वीं का रिजल्ट भी तैयार कर सकता है
- छात्रों के पास परीक्षा देने का विकल्प मौजूद होगा
नई दिल्ली:
कोरोना की दूसरी लहर (Corona 2nd Wave) के बीच सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा (CBSE Board 12th Exam) को केंद्र सरकार (Modi Government) ने रद्द करने का फैसला किया है. इसके बाद 12वीं की परीक्षा को लेकर चल रही कयासबाजी पर विराम लग गया. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने सोमवार को इस मुद्दे पर राज्यों के और केंद्र के अधिकारियों से व्यापक चर्चा के बाद फैसला लिया. ऐसे में अब ये सवाल उठ रहा है कि आखिर किस आधार पर छात्रों के परीक्षा परिणाम तय किए जाएंगे? और यदि छात्र अपने रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होता तो उसके लिए क्या विकल्प हैं?
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छात्रों और उनके परिजनों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है. हालांकि परीक्षा रद्द होने पर तमाम छात्रों को चिंता सता रही है कि यदि प्री बोर्ड के आधार पर रिजल्ट बनेगा, तो परसेंटेज कम आ सकते हैं, क्योंकि प्री बोर्ड में स्कूल टाइट मार्किंग करते हैं, जिससे स्टूडेंट और पढ़ाई करे. वहीं इस संबंध में जानकारों का मानना है कि किसी एक पैरामीटर के आधार पर सीबीएसई रिजल्ट (CBSE Result) तैयार नहीं करेगा, इसके लिए 3 से 4 पैरामीटर लिए जा सकते हैं.
परीक्षा देने का मौका भी मिलेगा
बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीबीएसई के अधिकारियों से कहा है कि 12वीं कक्षा के छात्रों के रिजल्ट को वेल डिफाइंड मानदंडों के अनुसार समयबद्ध तरीके से तैयार किया जाए. साथ ही सीबीएसई बोर्ड से यह सहूलियत देने के लिए भी कहा गया है कि यदि कोई छात्र अपने रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होता है तो उसे ऑफलाइन एग्जाम का दूसरा मौका दिया जाए. लेकिन ऐसा सिर्फ उन्हीं हालातों पर होगा जब कोरोना को लेकर स्थितियां सामान्य होंगी.
ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया प्रोसेस का हो सकता है इस्तेमाल
सीबीएसई बोर्ड (CBSE Board) अब 12वीं के छात्रों का रिजल्ट तैयार करने के लिए ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया (Objective Criteria) प्रोसेस का इस्तेमाल कर सकता है. बोर्ड ने इससे पहले 10वीं की परीक्षाओं में इसी तरह से छात्रों को नंबर देने का फैसला लिया था. इस प्रोसेस में कई प्वाइंट्स के जरिए छात्रों का मूल्यांकन किया जाता है. यह मूल्यांकन के लिए एक विधि है. इसमें शैक्षिक संगठनों द्वारा इस बात की असेसमेंट की जाती है कि छात्रों ने आखिर पूरे साल क्या सीखा.
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10वीं की तरह ही बन सकती है कमेटी
जानकारी के मुताबिक सीबीएसई बोर्ड ने 10वीं के छात्रों का रिजल्ट तैयार करने के लिए जो पॉलिसी अपनाई है, उसमें 7 स्कूल टीचर्स के साथ प्रिंसिपल को शामिल करते हुए एक रिजल्ट कमेटी बनाने की भी बात कही गई है. ये कमेटी रिजल्ट तैयार करने में पूरा रोल निभाएगी. इस कमेटी में प्रिंसिपल के अलावा 7 टीचर्स होंगे जो कि रिजल्ट को फाइनल रूप देंगे. इन टीचर्स में 5 उसी स्कूल से होंगे. इसके अलावा कमेटी में 2 टीचर्स पास के किसी अन्य स्कूल के होंगे जिन्हें स्कूल कमेटी के एक्सटर्नल मेंबर के तौर पर शामिल करेगा. हो सकता है कि बोर्ड इसी तरह की पॉलिसी 12वीं के लिए भी अपनाएं.
धर्मेंद्र प्रधान ने क्या कहा ?
वहीं बैठक में शामिल केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा है कि रिजल्ट तैयार करने के लिए इंटरनल परीक्षा को भी आधार पर बनाया जा सकता है. अभी तक छात्रों के जो 11वीं और 12 के जो दो इंटरनेल एग्जाम हुए हैं. उसके एसेसमेंट के आधार पर नतीजे आएंगे. हर एग्जाम में उनके दाखिले के लिए पिछले साल की तरह सुविधा भी रहेगी और आगे चलकर जब परिस्थिति नॉर्मल होगी तो परीक्षा दे सकते हैं.
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