RBI Monetary Policy : रेपो रेट में नहीं हुआ बदलाव, जानिए मौद्रिक समीक्षा की 10 अहम बातें
आरबीआई ने कहा कि मौजूदा और भावी आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर आज की बैठक में मैद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया है।
नई दिल्ली:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया. आरबीआई ने जारी एक बयान में कहा, 'मौजूदा और भावी आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर आज की बैठक में मैद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया है. परिणामस्वरूप रिवर्स रेपो दर 6.25 फीसदी पर बनी रहेगी और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 फीसदी पर यथावत रहेगी.' आरबीआई के मुताबिक, मौजूदा व्यापारिक तनाव के बीच अगस्त 2018 में एमपीसी की आखिरी बैठक के बाद से वैश्विक आर्थिक गतिविधि लचीली बनी हुई है, लेकिन कई अनिश्चितताओं की वजह से भविष्य में इसमें उतार-चढ़ाव रहेगा.
आरबीआई ने अगस्त में रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि की थी और यह दर 6.50 फीसदी हो गई थी. जानें चौथी द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें...
1. रिजर्व बैंक ने मुख्य नीतिगत दर (रेपो) को 6.50 प्रतिशत पर कायम रखा.
2. रिवर्स रेपो दर 6.25 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत तथा सीआरआर 4 प्रतिशत पर.
3. खुदरा मुद्रास्फीति के अक्टूबर-मार्च के दौरान बढ़कर 3.8 से 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान.
4. चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर कायम रख.
5. वैश्विक आर्थिक गतिविधियां असमतल हैं, परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता.
6. पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती से खुदरा मुद्रास्फीति कम होगी.
7. तेल कीमतों में बढ़ोतरी से खर्च योग्य आय पर असर पड़ेगा, कंपनियों का मुनाफा मार्जिन भी प्रभावित होगा.
8. कच्चे तेल की कीमतों के और ऊपर जाने का दबाव.
9. वैश्विक, घरेलू वित्तीय परिस्थितियां सख्त, निवेश गतिविधियां प्रभावित होंगी.
10. केंद्र और राज्यों के स्तर पर राजकोषीय लक्ष्यों से चूक से मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर असर होगा. साथ ही इससे बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ेगा.
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11. अगले कुछ माह के दौरान मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर नजदीकी नजर रखने की जरूरत. इसके ऊपर की ओर जाने के कई जोखिम.
12. व्यापार का लेकर तनाव, उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल के बढ़ते दाम और सख्त होती वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों की वजह से वृद्धि और मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर जोखिम.
13. केंद्रीय बैंक ने घरेलू वृहद आर्थिक बुनियाद को और मजबूत करने पर जोर दिया.
14. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक 3-5 दिसंबर को.
(PTI इनपुट्स के साथ)
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