GST काउंसिल का बड़ा फैसला, ई-वे बिल को मिली मंजूरी
जीएसटी काउंसिल ने बड़ा फैसला लेते हुए शनिवार को वस्तुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के लिए ई-वे बिल व्यवस्था को एक फरवरी से लागू करने की मंजूरी दे दी।
highlights
- जीएसटी काउंसिल ने ई-वे बिल व्यवस्था को एक फरवरी से लागू करने की मंजूरी दे दी
- देश में एक जुलाई 2017 सेे लागू की गई गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स
नई दिल्ली:
जीएसटी काउंसिल ने बड़ा फैसला लेते हुए शनिवार को वस्तुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के लिए ई-वे बिल व्यवस्था को एक फरवरी से लागू करने की मंजूरी दे दी।
कुछ राज्य स्वैच्छिक आधार पर एक फरवरी से दोनों इंटर स्टेट (दो राज्यों के बीच) और इंट्रा स्टेट (राज्य के भीतर) ई-वे बिल को लागू कर सकते हैं। ई-वे बिल व्यवस्था 15 जनवरी से उपलब्ध होगी।
सूत्रों ने कहा कि ई-वे बिल सामानों के इंट्रा स्टेट आवागमन के लिए ई-वे बिल की व्यवस्था एक जून से अनिवार्य रूप से लागू होगी। हालांकि, राज्य के भीतर वस्तुओं की आवाजाही के लिए ई-वे बिल व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से फरवरी से शुरू की जाएगी।
गौरतलब है कि एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किए जाने के बाद से इसमें कई सारे बदलाव किए जा चुके है। जीएसटी ने देश में मौजूद करीब एक दर्जन से अधिक अप्रत्यक्ष करों की जगह ली है।
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हालिया बैठक में जहां सरकार ने सबसे ऊपरी 28 फीसदी वाले स्लैब में मौजूद 225 आइटम्स की संख्या को घटाकर 50 कर चुकी है वहीं आने वाले दिनों में 12 फीसदी और 18 फीसदी के स्लैब को मिलाए जाने पर विचार किया जा रहा है।
बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस बारे में संकेत देते हुए कहा था कि जीएसटी परिषद 12 और 18 फीसदी दरों को एक नए स्लैब में विलय करने की संभावनाओं की जांच करेगी, जो कि राजस्व में बढ़ोतरी पर निर्भर करेगा। जीएसटी परिषद के सदस्य मोदी ने यह भी कहा कि सामानों के ऊपर लगाए जानेवाले मूल्य टैग में सभी करों समेत मूल्य लिखा होना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'जीएसटी परिषद 12 फीसदी और 18 फीसदी कर दरों को एक नए स्लैब में विलय करने की संभावना पर चर्चा करेगी। यह दर इन दोनों के बीच की एक दर हो सकती है। वहीं फिलहाल 50 वस्तुओं को 28 फीसदी के कर दायरे में रखा गया है, जिसमें से कई वस्तुओं को इससे निकाला जा सकता है।'
उन्होंने कहा कि परिषद ने 178 सामानों पर कर की दरों को घटाकर कर से जुड़े 90 फीसदी मुद्दों का समाधान कर दिया है।
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