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पूर्व CEA अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा, ग्रोथ रेट पर भारी पड़ी नोटबंदी

भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्यन मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर कड़ी टिप्‍पणी करते हुए कहा है कि यह एक झटके के समान थी.

Updated on: 29 Nov 2018, 01:54 PM

नई दिल्‍ली:

भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्यन (arvind subramanian) मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर कड़ी टिप्‍पणी करते हुए कहा है कि यह एक झटके के समान थी. उन्होंने कहा कि नोटबंदी एक सख्त कानून था और इससे मौद्रिक नीति को झटका लगा. जिसके चलते देश की अर्थव्यवस्था 7 तिमाही के सबसे निचले स्तर 6.8 फीसदी तक गिर गई थी. जब नोटबंदी लागू की गई थी तब सुब्रमण्यन (arvind subramanian) भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे.

अपनी किताब के एक चेप्टर 'The Two Puzzles of Demonetisation - Political and Economic' में उन्होंने लिखा है कि नोटबंदी से पहले की 6 तिमाही में देश की जीडीपी की वृद्धि दर औसतन 8 प्रतिशत थी, जबकि इस फैसले के लागू होने के बाद यह औसतन 6.8 फीसदी रह गई. हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यन (arvind subramanian) ने 4 साल के कार्यकाल के बाद अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी. 'Of Counsel: The Challenges of the Modi-Jaitley Economy' नाम की सुब्रमण्यन की किताब जल्द ही आने वाली है. इसी किताब में उन्होंने इन बातों का जिक्र किया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर 2016 के नोटबंदी के फैसले किया था. इसके बाद पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए अरविंद सुब्रमण्यम (arvind subramanian) ने कहा कि उनके पास इस तथ्य के अलावा कोई ठोस दृष्टिकोण नहीं है कि औपचारिक सेक्टर में वेल्फेयर कॉस्ट उस वक्त पर्याप्त थी. हालांकि उन्होंने इस बारे में खुलासा नहीं किया है कि नोटबंदी के फैसले पर उनसे राय ली गई थी या नहीं. हालांकि सरकार में शामिल लोगों ने बताया था कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के फैसले पर सीईए से राय नहीं ली थी.

ग्रोथ रेट कम हुई
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि कोई इस बात पर विवाद करेगा कि नोटबंदी के कारण ग्रोथ रेट धीमी हुई. सुब्रमण्यन (arvind subramanian) के मुताबिक, इस बात पर बहस जरूर हो सकती है कि इसका प्रभाव कितान बड़ा था. यह दो या उससे कम फीसदी की हो सकती है. सुब्रमण्यन ने कहा कि वैसे इस अवधि में कई अन्य कारकों ने भी जीडीपी की वृद्धि को प्रभावित किया है. इसमें उच्च वास्तविक ब्याज दर, GST और पेट्रो पदार्थों की कीमतें भी एक कारण हैं.

न्यूज़ एजेंसी PTI के मुताबिक, आर्थिक सलाहकार के पद पर चार साल तक रहे अरविंद सुब्रमण्यम (arvind subramanian) ने कहा, ‘नोटबंदी एक सख्त, बड़ा और मौद्रिक झटका था, जिससे बाजार से 86 फीसदी मुद्रा हटा दी गई. इससे जीडीपी (GDP) भी प्रभावित हुई. उनकी यह किताब पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित की जा रही है, जिसमें अरविंद सुब्रमण्यन ने अपने कार्यकाल में हुई कई घटनाक्रमों के बारे में विस्तार से लिखा है.

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बंद हो गए थे 500 और 1000 के नोट
8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू हुई थी. तब 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे और उनके स्थान पर 500 और 2000 के नए नोट जारी हुए थे. लोगों को नोट बदलवाने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ा, बाजार में भी पैसे की कमी हो गई थी.