जानिए रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, सीआरआर के बारे में
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को अपनी मौद्रिक नीति दर रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कमी कर दी है। अब रेपो दर 0.25 कम होकर 6.00 प्रतिशत हो गया है।
नई दिल्ली:
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को अपनी मौद्रिक नीति दर रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कमी कर दी है। अब रेपो दर 0.25 कम होकर 6.00 प्रतिशत हो गया है। इतना ही नहीं आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को भी 6.00 प्रतिशत से 5.75 कर दिया है।
रेपो दर, रिवर्स रेपो दर सीआरआर जैसे शब्दों के बारे में कुछ लोगों को न सिर्फ जानने की इच्छा बनी रहती है, बल्कि इस शब्दावली के अर्थ जाने बिना ख़बर को समझना भी मुश्किल हो जाता है।
आइए जानते हैं, हर बार इस तरह की ख़बरों में इस्तेमाल होने वाले शब्दों रेपो दर, रिवर्स रेपो दर और सीआरआर के बारे में....
रेपो दरः
आरबीआई जिस ब्याज दर पर सभी बैंक को (वाणिज्यिक बैंक) पैसा उधार देता है। उसे रेपो दर कहते है। रेपो दर कम होने का मतलब ये है कि अब बैंक को आरबीआई में कम ब्याज दर देना होगा, यानी कि ऋण चुकाना बैंको के लिए आसान होगा। जिससे बैंक के पास ज्यादा पैसे बचेंगे और अगर ऐसा हुआ तो बैंक लोगों को कम दर पर लोन दे सकेगीय़
रिवर्स रेपो दरः
जब बैंक रिजर्व बैंक को पैसा उधार देता है और उसपर जो ब्याज लगता है उसे रिवर्स रेपो दर कहते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं।
रोज़ के कामकाज के बाद जब बैंकों के पास बड़ी रकम बची रह जाती हैं, तो वो उस रकम को रिजर्व बैंक में रख देते हैं, जिस पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। अब रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज अदा करता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
रिवर्स रेपो रेट बाज़ार में कैश फ्लो को नियंत्रित करता है। बाज़ार में नकदी जब ज़्यादा हो जाती है, तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है। इससे बैंक अधिक ब्याज कमाने के लिए रकम को आरबीआई में जमा कराता है। जिससे बज़ार में तरलता बरकरार रहती है।
और पढ़ेंः अब लोन लेना होगा सस्ता, RBI ने रेपो रेट 6.25% से कम कर किया 6%
सीआरआर दरः
बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है, जिसे कैश रिजर्व रेशिओ अथवा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है।
एसएलआर दरः
एसएलआर दर वह राशि है जिसे एक बैंकों के ग्राहकों को लोन देने से पहले अपने पास केश या सोना या सरकारी अनुमोदित बोड्स के रूप में रखना होता है।
बैंक दरः
बैंक दर वह ब्याज दर है जिसे लंबी अवधि के बाद वसूला जाता है और जिसकी अग्रिम वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से लेते हैं।
एमएसएफ दरः
एमएसएफ दर को सीमांत स्थायी सुविधा दर भी कहा जाता है। यह वह दर है जिससे आरबीआई से एक रात के लिए उधार लिया जा सकता है। यह 2011-2012 में आरबीआई की मौद्रिक नीति के अंतर्गत आता है।
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