निर्भया फंड में सालाना 1 हज़ार करोड़ रुपये का होता है आवंटन, अब तक 1 रुपये भी नहीं हुआ खर्च
इस फंड के तहत सरकार ने सालाना 1,000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव रखा।लेकिन विडंबना यह है कि चार साल से भी ज़्यादा बीत चुके इस फंड के गठन के बाद अब तक भी सरकार इसका प्रभावी रुप से इस्तेमाल नहीं कर पाई है।
highlights
- निर्भया फंड के लिए सालाना 1000 करोड़ रु का होता है आवंटन
- दिल्ली में निर्भया कांड के बाद शुरू किया गया था योजना
नई दिल्ली:
16 दिंसबर 2012 सर्दियों की वो कंपकंपाती रात को निर्भया के साथ गैंगरेप की वारदात से पूरा देश हिल गया। देश भर में दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी ख़बरें छपने लगी और केंद्र सरकार के पसीने छूट गए।
देश की राजधानी दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार फजीहत से खुद को बचा नहीं सकी और आनन फानन में अगले वित्त वर्ष के बजट की घोषणा करते ही तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने निर्भया फंड की घोषणा कर दी।
इस फंड के तहत सरकार ने सालाना 1,000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव रखा। यह निर्भया फंड केंद्र सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित खर्चों के लिए गठित किया था।
साल 2017-18 के आम बजट में भी सरकार ने निर्भया फंड में 90 प्रतिशत का इज़ाफा किया है। इस बजट में महिला शक्ति केंद्रों की स्थापना के साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि भी आवंटित की गई थी।
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लेकिन विडंबना यह है कि चार साल से भी ज़्यादा बीत चुके इस फंड के गठन के बाद अब तक भी सरकार इसका प्रभावी रुप से इस्तेमाल नहीं कर पाई है।
पिछले साल 2016 तक के आंकड़ों के मुताबिक सरकार 3000 करोड़ रुपये इस फंड में इकट्ठा कर चुकी थी लेकिन इसमें से कुल 200 करोड़ रुपये ही विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित किए गए थे। जबकि इन योजनाओं में भी आवंटित फंड का इस्तेमाल नहीं हो पाया था।
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इस बीच 2015-16 के आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने दो योजनाएं बनाई थीं- रोड ट्रांसपॉर्ट एवं हाइवे मंत्रालय के तहत 'पल्बिक रोड ट्रांसपॉर्ट में महिलाओं की सुरक्षा' योजना, जिसके तहत 653 करोड़ रुपये और गृह मंत्रालय के तहत निर्भया प्रॉजेक्ट के लिए 79.6 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन इन दोनों में से कोई भी योजना शुरू नहीं हो पाई है। इस कारण आवंटित राशि भी खर्च नहीं की जा सकी थी।
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इससे पहले मार्च 2016 में संसदीय समिति की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था । समिति की एक्शन रिपोर्ट में कहा गया था 'महिला अपराध अभी भी चरम पर है। इस मुद्दे के हल के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। मंत्रालय द्वारा कोई सटीक कार्रवाई की कोशिश नहीं की जा रही है।'
समिति ने कहा था, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतना बड़ा फंड बेकार पड़ा है जबकि बहुत कुछ किया जा सकता है। यह ध्यान देने वाली बात है कि यह फंड 2-3 साल से उपलब्ध है। यह चरमसीमा है और मंत्रालय को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट भी लगा चुका है फटकार
इस फंड का इस्तेमाल न करने पर सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों ले चुका है। मई 2016 में केंद्र और राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि सिर्फ फंड बना देना ही काफी नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था, 'निर्भया फंड के 2 हजार करोड़ रुपये सिर्फ दिखाने व रखने के लिए नहीं है बल्कि फंड को डिस्ट्रिब्यूट करना जरूरी है।' अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि फंड बनाना काफी नहीं है बल्कि रेप विक्टिम को राहत देने के लिए नेशनल पॉलिसी बनाने की ज़रुरत है।
अदालत ने कहा कि सिर्फ निर्भया फंड सिर्फ जुबानी जमा खर्च की तरह हो गया है। केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करे कि रेप विक्टिम को पर्याप्त मुआवजा मिले।
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