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लॉबिस्ट नीरा राडिया पर 300 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज, जानें पूरा मामला

नीरा चर्चित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला और एक विवादित टेपकांड को लेकर पहले भी मीडिया की सुर्खियों में रही हैं. इस मामले की शिकायत आर्थोपेडिक सर्जन राजीव शर्मा ने शिकायत दर्ज करवाई थी जिस पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने एफआई आर दर्ज कर ली है.

Updated on: 07 Nov 2020, 07:08 PM

नई दिल्ली:

मशहूर लॉबिस्ट नीरा राडिया और उनकी कंपनी नयाती हेल्थकेयर के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 300 करोड़ रुपये के बैंक लोन धोखाधड़ी में मुकदमा दर्ज किया है. आपको बता दें कि नीरा चर्चित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला और एक विवादित टेपकांड को लेकर पहले भी मीडिया की सुर्खियों में रही हैं. इस मामले की शिकायत आर्थोपेडिक सर्जन राजीव शर्मा ने शिकायत दर्ज करवाई थी जिस पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने एफआई आर दर्ज कर ली है.

दिल्ली पुलिस ने नीरा राडिया और उनकी कंपनी, करुणा मेनन, सतीश नरुला और यतीश वहल्ल के खिलाफ 300 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. आपको बता दें कि एफआईआर में दर्ज नयाती के अलावा एक अन्य कंपनी नारायणी इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड पर 300 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है, यह रकम एक बैंक से लोन लेकर ली गई थी. 

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इसके अलावा इन दोनों कंपनियों पर गुरुग्राम और विमहंस हॉस्पिटल दिल्ली प्रिमामेद हॉस्पिटल परियोजनाओं में साल 2018-2020 के बीच 312.50 करोड़ रुपये की धनराशि के गबन और जालसाजी का आरोप भी लगाया गया है. मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक दोनों कंपनियों ने विभिन्न जानेमाने ठेकेदारों के नाम पर फर्जी खाते खोले और इन खातों में बैंक से लोन ली गई राशियों को सीधे ट्रांसफर कर करोड़ों रुपयों का गबन किया गया है.  शिकायतकर्ता राजीव शर्मा का आरोप है कि 400 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण और इक्विटी मनी को निकाल लिया गया है. 

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शिकायतकर्ता के अनुसार, कंपनी ने गुरुग्राम में एक अस्पताल को पूरा करने के लिए यस बैंक से 300 करोड़ रुपये का ऋण लिया था, लेकिन इस धन का उपयोग कथित रूप से अस्पताल बनाने के लिए कभी नहीं किया गया. नयति और नारायणी पर गुरुग्राम और विमहंस हॉस्पिटल परियोजनाओं में 2018-2020 के बीच 312.50 करोड़ रुपये की राशि के गबन और जालसाजी का आरोप लगाया गया है. आरोप है कि इस फर्म ने हॉस्पिटल परियोजनाओं में कई ठेकेदारों के नाम पर 2018-2020 के बीच फर्जी खाते खोले और उनमें सीधे 312.50 करोड़ रुपये बैंक ऋण राशि हस्तांतरित कर करोड़ों का गबन किया.