पिछले कुछ सालों में दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के मामलों में काफी ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है. पिछले 6 सालों में दिहाड़ी मजदूरों के आत्महत्या करने के मामलों में दोगुना इजाफा हुआ. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में आत्महत्या के मामलों में 23.4 फीसदी मामले दिहाड़ी मजदूरों के थे. पिछले साल करीब 32 हजार 563 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की जबकि 2015 में ये संख्या 15 हजार 735 थी. इनमें कृषि क्षेत्र के मजदूर शामिल नहीं है.
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिहाड़ी मजदूरों के आत्महत्या करने के मामले में तमिलनाडु पहले नंबर पर है. यहां करीब 5 हजार 186 मजदूरों ने खुदकुशी की. इसके बाद महाराष्ट्र में 4 हजार 128, मध्य प्रदेश में 3 हदार 964, तेलंगाना में 2 हजार 858 और केरल में 2809 लोगों ने आत्महत्या की. हालांकि कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूरों की आत्महत्या के मामलों में कमी आई है.
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साल दर साल बढ़ रही संख्या
NCRB की रिपो्ट के मुताबिक 2014 में दिहाड़ी मजदूरों के आत्महत्या करने के मामलों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई थी. इसके बाद 2015 में ये संख्या 17.8 फीसदी तक बढ़ गई. इसके बाद 2016 में 19.2 फीसदी, 2017 में 22.1 फीसदी, 2018 में 22.4 फीसदी और 2019 में 23.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.