ICC की बैठक में BCCI को झटका, विरोध के बावजूद नए रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल को मंजूरी
बीसीसीआई ने शनिवार को जिन बदलावों का विरोध किया उनकी सिफारिश 2014 में की गई थी। आईसीसी की बैठक में शनिवार को नवनियुक्त विक्रम लीमये ने बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व किया
highlights
- BCCI लगातार नए रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल का 2014 से विरोध कर रहा है
- सूत्रों के मुताबहिक श्रीलंका को छोड़ किसी ने नहीं किया BCCI का समर्थन
- इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया ने भी नहीं किया भारत का समर्थन
नई दिल्ली:
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की बैठक में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को बड़ा झटका लगा है। बीसीसीआई के प्रतिनिधि विक्रम लिमये के कड़े विरोध के बावजूद आईसीसी के ज्यादातर सदस्यों ने वित्तीय मॉडल और प्रशासनिक ढांचे में बदलाव का समर्थन किया है।
आईसीसी की बैठक में शनिवार को नवनियुक्त विक्रम लीमये ने बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व किया और आईसीसी द्वारा प्रस्तावित इन बदलावों का विरोध किया।
दरअसल, बीसीसीआई ने शनिवार को जिन बदलावों का विरोध किया उनकी सिफारिश 2014 में की गई थी। आईसीसी के मौजूदा वित्तीय मॉडल में आईसीसी को प्राप्त होने वाले कुल राजस्व का सबसे बड़ा हिस्सा बीसीसीआई को मिलता है।
आईसीसी बोर्ड की शनिवार को हुई बैठक में इन बदलावों का प्रस्ताव रखा गया - 'संशोधित वित्तीय मॉडल के तहत राजस्व का बराबर वितरण हो। संविधान में भी संशोधन हो, जो सुशासन, आईसीसी की भूमिका और लक्ष्यों को विस्तार देने वाला और पारदर्शी बनाने वाला हो और विश्व क्रिकेट का वास्तविक नेतृत्व करने वाला बनाए।'
सूत्रों के मुताबिक श्रीलंका को छोड़ किसी ने बीसीसीआई का समर्थन नहीं किया। इस रेवेन्यू के तहत भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को 'बिग थ्री' के रूप में राजस्व का बड़ा हिस्सा मिलना था।
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आईसीसी के अनुसार, नया वित्तीय मॉडल 'बराबरी, विवेकपूर्ण, व्यावहारिक और सहजता' के सिद्धांत पर आधारित है और "हर सदस्य को विकास करने, पारदर्शिता लाने और सदस्यों के बीच पारस्परिक स्वतंत्रता प्रदान करने वाला हो।'
शनिवार को बैठक में लिए गए फैसलों पर अप्रैल, 2017 में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। आईसीसी ने इस बीच सदस्य देशों से अपने-अपने सुझाव देने के लिए भी कहा है।
इन बदलावों पर आईसीसी के चेयरमैन शशांक मनोहर ने कहा, 'कार्यकारी समूह द्वारा 2014 में लिए गए फैसले को पलटने के प्रस्ताव और एक संशोधित संविधान तथा वित्तीय मॉडल के निर्माण के प्रस्ताव को आईसीसी बोर्ड ने स्वीकार कर लिया है। अब हम इस पर अंतिम मुहर लगाने से पहले मिलकर इसमें सुधार के लिए काम करेंगे। यह समय बीसीसीआई के नए नेतृत्वकर्ताओं को प्रस्ताव का पूरा ब्योरा समझने और अपना योगदान देने में मददगार होगा।'
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हालांकि आईसीसी बोर्ड की बैठक के थोड़ी ही देर बाद बीसीसीआई ने बयान जारी किया, 'बीसीसीआई के प्रतिनिधि विक्रम लीमये दोनों ही प्रस्तावों पर अपनी चिंता जाहिर करते हैं, खासकर प्रस्तावों को समझने के लिए बीसीसीआई के नवनियुक्त प्रशासन को मिले इतने कम समय को देखते हुए। इसके अलावा बीसीसीआई को 'गुड फेथ इक्विटी' की जगह पर्सेटेज डिस्ट्रिब्यूशन एलोकेशन प्रणाली के प्रस्ताव के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नजर नहीं आ रहा।'
बीसीसीआई ने कहा, 'विक्रम लीमये ने अप्रैल, 2017 में होने वाली आईसीसी बोर्ड की बैठक में भी ये दोनों प्रस्ताव लाने का अनुरोध किया है।'
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