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SIP and Fixed Deposit: जिंदगी बिताना चाहते हैं आराम से, तो फिर यहां लगाएं पैसा, रहेंगे टेंशन फ्री

SIP or Fixed Deposit which is better: आज आपको बताते हैं कि फ्यूचर की प्लानिंग के लिए आप SIP और फिक्स्ड डिपॉजिट में किसे चुन सकते हैं.

Updated on: 20 Jun 2023, 09:54 AM

highlights

  • भविष्य के लिए निवेश करना हो गया है जरूरी
  • SIP और Fixed Deposit दो हैं सबसे लोकप्रिय माध्यम
  • रिस्क रहता है कम, फायदे हैं ज्यादा

नई दिल्ली:

SIP or Fixed Deposit which is better: दोस्तों अगर आज के समय में हमें अपने शौक पूरे करने हैं या फिर अपनी जरूरत की चीजों को खरीदना है, बच्चों की पढ़ाई हो या फिर खाने पीने का सामान, उसके लिए सैलरी से गुजारा नहीं हो सकता. कहीं ना कहीं हमें इन्वेस्टमेंट करने की जरूरत होती है. जब भी इन्वेस्टमेंट नाम का शब्द दिमाग में आता है तो ऐसा लगता है जैसे कितना बड़ा शब्द बोल दिया, हालांकि आज के समय में ये हर एक इंसान के लिए जरूरी हो गया है कि वो अपनी सैलरी का कुछ भाग कहीं ना कहीं इन्वेस्ट जरूर करे. अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि भाई बैंक में सैलरी आती है, अकाउंट में पैसे रहते हैं तो उस पर भी कुछ ना कुछ ब्याज मिलती है. तो फिर कहीं और इन्वेस्ट करने की क्या जरूरत? चलिए पहले आपको बताते हैं इन्वेस्टमेंट की जरूरत आज के समय में क्यों है.

इसलिए है इन्वेस्टमेंट की जरूरत

एक उदाहरण के तौर पर आज आपके अकाउंट में ₹30 हैं और आज 1 किलो आलू ₹30 में आ रहे हैं. तो अभी के समय में आप अपनी उस बचत से 1 किलो आलू खरीद पा रहे हैं. अगर यही बात 1 साल या 2 साल बाद की करें तो वही आलू 40 या फिर ₹50 किलो हो जाएगा. यानी आपकी बचत उस 1 किलो आलू के लिए कम पड़ जाएगी. इसका साफ मतलब हुआ कि बैंक में भले ही आपके पास ₹30 हैं, सेफ हैं, लेकिन दो साल बाद उनकी कीमत कम हो जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि हर साल महंगाई बढ़ती ही जा रही है. इसलिए आपको अपने पैसों को इन्वेस्ट करने की जरूरत होती है. वैसे तो इन्वेस्टमेंट बहुत तरीके का होता है, लेकिन आज हम आपको उन 2 तरीकों के बारे में बताएंगे जिन्हें आप आसानी से अपना सकते हैं. सबसे पहला फिक्स्ड डिपॉजिट और दूसरा एसआईपी यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान.

ये है SIP का मामला

सबसे पहले बात करते हैं एसआईपी की. ये एक ऐसा इन्वेस्टमेंट है जो आप म्यूचल फंड के जरिए करते हैं. वैसे तो शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट करने का सीधे तरीका है. लेकिन SIP को सबसे ज्यादा सेफ माना जाता है. वो इसलिए क्योंकि आप यहां म्यूचल फंड की कंपनियों को अपने पैसे दे देते हैं और वो अपने अनुभव के हिसाब से इन्वेस्ट करते हैं. यानी आपको ज्यादा मार्केट की नॉलेज होने की जरूरत नहीं है. हालांकि रिस्क यहां रहता है क्योंकि म्यूचल फंड वाले कंपनियों में ही निवेश करते हैं. लेकिन सीधे तौर पर शेयर मार्केट में पैसा लगाने से यहां कम रिस्क है, क्योंकि म्यूचल फंड एक साथ कई कंपनियों में आपका पैसा लगाते हैं. अगर एक कंपनी डूब या फिर खराब प्रदर्शन करती है, पर दूसरी कंपनियां अच्छा-खासा मुनाफा कमा लेती हैं तो आपको नुकसान कम होता है. एसआईपी 500 रुपए से भी शुरु की जा सकती है. इसके लिए कोई बड़े अमाउंट की जरूरत नहीं होती है.

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फिक्स्ड डिपॉजिट क्यों है हिट

वहीं बात करें फिक्स्ड डिपॉजिट की तो ये सबसे ज्यादा सेफ माध्यम है पैसे इन्वेस्ट करने का. यहां पर कोई भी रिस्क नहीं होता है. हालांकि एक कहावत बिजनेस में कहीं जाती है कि मोर रिस्क, मोर प्रॉफिट. जहां पर रिस्क ज्यादा होता है वहां प्रॉफिट ज्यादा होने के चांस भी काफी रहते हैं. फिक्स डिपॉजिट में फिक्स रहता है कि 1 साल बाद या फिर उसकी अवधि के बाद आपको इतना पैसा मिलना ही है. साथ में बैंक फिक्स डिपॉजिट के ऊपर आपको लोन भी दे देते हैं. इसलिए ये अब आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप फिक्स डिपाजिट में जाना चाहते हैं, या फिर एसआईपी में. अगर कंफ्यूजन है तो चलिए आपको एक उदाहरण के तौर पर साफ कर देते हैं कि आपको कौन सा ऑप्शन लेना बेहतर होगा.

SIP और FD : कैसे करें चुनाव

मान लीजिए एक खिलाड़ी है वह दिनभर क्रिकेट खेलता है, तो ये उसके लिए और उसके करियर के लिए बेहतर है. क्योंकि वह जितना ज्यादा क्रिकेट खेलेगा उतना ही ज्यादा सफल रहेगा. वहीं दूसरी तरफ एक स्टूडेंट है जो दिन भर क्रिकेट खेलता है. पढ़ाई बिल्कुल नहीं करता तो ये उसके लिए बेहद ही खतरनाक स्थिति है. क्योंकि अगर वह पढ़ाई नहीं करेगा तो आगे कैसा जाएगा. इसलिए ये पर्सन टू पर्सन निर्भर करता है कि वह फिक्स डिपॉजिट में जाना चाहता है या फिर एसआईपी में. क्योंकि काफी लोग ऐसे होते हैं जो रिस्क लेना पसंद करते हैं तो वो एसआईपी में निवेश कर सकते हैं. और वहीं बहुत से लोग ऐसे हैं जो बिना किसी टेंशन के अपनी जिंदगी जीना चाहते हैं तो उनके लिए फिक्स्ड डिपॉजिट है.

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पैसे से पैसे बनाना ही होगा

हालांकि हम एक बार फिर से बोलना चाहेंगे कि मोर रिस्क मोर प्रॉफिट. जहां रिस्क ज्यादा है वहां प्रॉफिट भी ज्यादा होता है. तो इसलिए आप अपनी हिसाब से इन दोनों रास्तों में से कोई भी एक चुन सकते हैं. लेकिन सिर्फ बैंक के भरोसे रहना उचित नहीं रहेगा. पैसे से पैसे बनाने की कला को सिखना ही होगा. तभी आज के समय में आराम की जिंदगी बिता सकते हैं. नहीं तो फिर लोन की किस्त ही चुकाते रह जाएंगे.