प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) गुरुवार यानि 13 अगस्त को ईमानदारी से कर चुकाने वालों के लिए ‘पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान’ (Transparent Taxation – Honoring the Honest) नामक एक मंच का शुभारंभ करेंगे. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से होने वाले इस आयोजन में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर भी उपस्थित रहेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि आयकर विभाग के अधिकारियों एवं पदाधिकारियों के अलावा विभिन्न वाणिज्य मंडलों, व्यापार संघों एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट संघों के साथ-साथ जाने-माने करदाता भी इस आयोजन में शामिल होंगे.
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पिछले साल कॉर्पोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी किया
बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ‘पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान’ के लिए जो प्लेटफॉर्म लॉन्च करेंगे वह प्रत्यक्ष कर सुधारों की यात्रा को और भी आगे ले जाएगा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष करों में कई प्रमुख या बड़े कर सुधार लागू किए हैं. पिछले वर्ष कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया एवं नई विनिर्माण इकाइयों के लिए इस दर को और भी अधिक घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया. लाभांश वितरण कर को भी हटा दिया गया. बयान में बताया गया कि कर सुधारों के तहत टैक्स की दरों में कमी करने और प्रत्यक्ष कर कानूनों के सरलीकरण पर फोकस रहा है.
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आयकर विभाग के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भी सीबीडीटी द्वारा कई पहल की गई हैं. लंबित कर विवादों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से आयकर विभाग ने प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020 भी प्रस्तुत किया है जिसके तहत वर्तमान में विवादों को निपटाने के लिए घोषणाएं दाखिल की जा रही हैं. करदाताओं की शिकायतों व मुकदमों में प्रभावकारी रूप से कमी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न अपीलीय न्यायालयों में विभागीय अपील दाखिल करने के लिए आरंभिक मौद्रिक सीमाएं बढ़ा दी गई हैं डिजिटल लेन-देन और भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक मोड या तरीकों को बढ़ावा देने के लिए भी कई उपाय किए गए हैं और आयकर विभाग इन पहलों को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है. बयान के मुताबिक, ‘‘विभाग ने ‘कोविड काल’ में करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने के लिए भी कई तरह के प्रयास किए हैं, जिनके तहत रिटर्न दाखिल करने की वैधानिक समयसीमा बढ़ा दी गई है और करदाताओं के हाथों में तरलता या नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए तेजी से रिफंड जारी किए गए हैं.