logo-image

अगर आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करते हैं तो यह खबर जरूर पढ़ लीजिए

Mutual Fund Latest News: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने डिबेंचर ट्रस्टी की भूमिका को भी मजबूत किया और भेदिया कारोबार (Insider Trading) नियमों को संशोधित किया.

Updated on: 30 Sep 2020, 10:37 AM

नई दिल्ली:

Mutual Fund Latest News: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड प्रबंधकों (Mutual Fund Managers) को और जवाबदेह बनाने के इरादे से उनके लिये आचार संहिता जारी करने का फैसला किया. साथ ही सूचीबद्ध कंपनियों के खातों की फारेंसिंक जांच के मामले में खुलासा नियमों को कड़ा किया है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने डिबेंचर ट्रस्टी की भूमिका को भी मजबूत किया और भेदिया कारोबार (Insider Trading) नियमों को संशोधित किया. नियामक ने एक बयान में कहा कि सेबी निदेशक मंडल ने सीमित उद्देश्य वाले रेपो क्लीयरिंग कॉरपोरेशन के गठन को भी मंजूरी दी. इस पहल का मकसद कॉरपोरेट बांड में रेपो कारोबार को मजबूत बनाना है.

यह भी पढ़ें: रिलायंस रिटेल वेंचर्स में 3,675 करोड़ रुपये का निवेश करेगी जनरल अटलांटिक

सेबी ने संपत्ति प्रबंधन कंपनियों को स्वयं क्लियरिंग सदस्य बनने की अनुमति दी
निदेशक मंडल ने संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के मुख्य निवेश अधिकारी और डीलर समेत कोष प्रबंधकों के लिये आचार संहिता पेश करने को लेकर म्यूचुअल फंड नियमन में संशोधन को मंजूरी दी. मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की यह जिम्मेदारी होगी कि वह यह सुनिश्चित करे कि इन सभी अधिकारियों द्वारा आचार संहिता का पालन किया जाये. वर्तमान में म्यूचुअल फंड नियमों के तहत एएमसी और ट्रस्टियों को आचार संहिता का पालन करना होता है. इसके साथ ही सीईओ को कई तरह की जिम्मेदारियां दी गईं हैं. बयान के अनुसार सेबी ने संपत्ति प्रबंधन कंपनियों को स्वयं क्लियरिंग सदस्य बनने की भी अनुमति दी है. इसके तहत वे म्यूचुअल फंड योजनाओं की तरफ से मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों के बांड खंड में कारोबार का निपटान कर सकेंगे. इसके अलावा नियामक ने सूचना उपलब्धता में अंतर को पाटने के लिये कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों को उनके खातों की फारेंसिंक जांच शुरू होने के बारे में जानकारी देनी होगी.

यह भी पढ़ें: 'दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है भारत' 

आडिट करने वाली कंपनी का नाम और फारेंसिक आडिट होने की वजह शेयर बाजारों को बतानी होगी
सूचीबद्ध कंपनियों को उनके खातों में फारेंसिक आडिट जांच शुरू होने के बारे में जानकारी के साथ ही आडिट करने वाली कंपनी का नाम और फारेंसिक आडिट होने की वजह भी शेयर बाजारों को बतानी होगी. इसके साथ ही कंपनियों को नियामकीय अथवा प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा फारेंसिंक आडिट शुरू किये जाने और प्रबंधन की टिप्पणी के साथ सूचीबद्ध कंपनी द्वारा अंतिम फारेंसिंक आडिट रिपोर्ट प्राप्त होने की पूरी जानकारी भी शेयर बाजारों को उपलब्ध करानी होगी. बयान के अनुसार नियामक ने सूचना देने की व्यवस्था के तहत जानकारी देने वाले को भेदिया कारोबार नियमों में किसी प्रकार का उल्लंघन होने पर सूचना देने के लिये तीन साल का समय दिया.

यह भी पढ़ें: स्रोत पर कर वसूली को लेकर आयकर विभाग ने जारी किए नए दिशानिर्देश 

सेबी ने डिबेंचर ट्रस्टी की भूमिका को भी मजबूत बनाया है. इसके तहत वे संबंधित संपत्ति की जांच-पड़ताल स्वतंत्र रूप से कर सकेंगे. साथ ही वे सुरक्षा व्यवस्था को लागू करने को लेकर डिबेंचर धारकों की बैठक बुला सकेंगे. इसके अलावा सेबी ने उस सूचीबद्ध अनुषंगी इकाई की सूचीबद्धता समाप्त करने को लेकर ‘रिवर्स बुक बिल्डिंग’ प्रक्रिया से छूट देने का निर्णय किया है जब वह सूचीबद्ध मूल कंपनी की पूर्ण अनुषंगी इकई बन जाती है. इसके लिये जरूरी है कि सूचीबद्ध होल्डिंग कंपनी और सूचीबद्ध अनुषंगी एक ही तरह के कारोबार में हों. निदेशक मंडल ने वैकल्पिक निवेश कोष से संबंधित नियमों में संशोधन को भी मंजूरी दी है.