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Air India की बिक्री के लिए मोदी सरकार उठाने जा रही है ये बड़ा कदम

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार कोविड-19 महामारी से प्रभावित वर्तमान आर्थिक हालात में Air India के ऋण को और कम करने पर विचार कर रही है, ताकि इसमें दिलचस्पी रखने वाले पक्षों के लिए इसे अधिक आकर्षक बनाया जा सके.

Updated on: 19 Sep 2020, 11:04 AM

नई दिल्ली:

सरकार विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) को निवेशकों के लिये अधिक आकर्षक बनाने के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है. केंद्र सरकार एयर इंडिया का कर्ज घटाने और विनिवेश की प्रक्रिया को और आगे खिसकाने के बारे में सोच- विचार कर रही है, ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार कोविड-19 महामारी से प्रभावित वर्तमान आर्थिक हालात में एयरलाइन के ऋण को और कम करने पर विचार कर रही है, ताकि इसमें दिलचस्पी रखने वाले पक्षों के लिए इसे अधिक आकर्षक बनाया जा सके.

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एयर इंडिया के ऊपर 31 मार्च 2019 तक 58,255 करोड़ रुपये का कर्ज
एयर इंडिया का कर्ज 31 मार्च, 2019 तक 58,255 करोड़ रुपये था. सरकार ने विमानन कंपनी को निवेशकों के लिये आकर्षक बनाने के लिहाज से इसके ऋण में से 29,464 करोड़ रुपये एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (एआईएएचएल) नामक सरकारी स्वामित्व वाली विशेष उद्देश्यीय कंपनी में स्थानांतरित कर दिये गए. एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि एयर इंडिया का कर्ज और कम करने पर सरकार विचार कर रही है ताकि इसमें रूचि लेने वाली पार्टियों के लिये इसे और आकर्षक बनाया जा सके. कोविड- 19 महामारी के मौजूदा परिवेश में एयरलाइन पर भारी कर्ज बोझ की वजह से हो सकता है निवेशक झिझक रहे हों. एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा बोली लगाने के लिए और समय दिए जाने की उम्मीद है और इससे विनिवेश प्रक्रिया और आगे खिसक सकती है. इस सरकारी विमानन कंपनी के विनिवेश के लिए बोलियां देने की समय सीमा इस साल पहले ही चार बार आगे खिसकाई जा चुकी है.

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कोविड-19 महामारी के कारण यह समयसीमा चौथी बार 25 अगस्त को बढ़ाकर 30 अक्टूबर कर दी गई थी. विमानन कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया की शुरुआत 27 जनवरी को की गई थी. नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा था कि एयर इंडिया लगातार घाटे से जूझ रही है और कोविड-19 महामारी के चलते हालात और खराब हुए हैं. उन्होंने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि एयर इंडिया को 2020-21 की पहली तिमाही में 2,570 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में उसका शुद्ध घाटा 785 करोड़ रुपये था.

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पुरी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिये एयर इंडिया को 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज उपलब्ध कराया गया था. सरकार ने इससे पहले 2018 में भी एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश कर असफल प्रयास किया था, जिसके बाद इस साल जनवरी में प्रक्रिया को फिर से शुरू किया गया और विमानन कंपनी में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिये बोलियां आमंत्रित की गई. इससे पहले 2018 में सरकार ने एयर इंडिया में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी.