logo-image

मोदी सरकार के इस एक फैसले से जापान, चीन, यूरोपीय संघ और रूस को होगा बड़ा नुकसान

एप्कोटेक्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Apcotex Industries Ltd) ने व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) से इन देशों द्वारा ‘एक्रीलोनिट्राइल बुटाडीन रबड़’ (Acrylonitrile Butadiene Rubber) के डंपिंग की शिकायत की थी.

Updated on: 28 May 2020, 02:13 PM

दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार चीन, यूरोपीय संघ, जापान और रूस से रबड़ के आयात पर डंपिंगरोधी शुल्क (Anti-Dumping Duty) लगा सकती है. इस संबंध में घरेलू रबड़ उत्पादक ने वाणिज्य मंत्रालय से इन देशों से रबड़ के डंपिंग करने की शिकायत की है. एप्कोटेक्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Apcotex Industries Ltd) ने व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) से इन देशों द्वारा ‘एक्रीलोनिट्राइल बुटाडीन रबड़’ (Acrylonitrile Butadiene Rubber) के डंपिंग की शिकायत की थी. डीजीटीआर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाला निकाय है. यह डंपिंगरोधी मामलों की जांच कर शुल्क लगाने की सिफारिश मंत्रालय को भेजता है. मंत्रालय उसे वित्त मंत्रालय को भेज देता है जो डंपिंग रोधी शुल्क लगाने पर अंतिम निर्णय लेता है.

यह भी पढ़ें: Coronavirus (Covid-19): कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए जापान ने फिर एक बड़े राहत पैकेज (Covid-19 Relief Package) का ऐलान किया

वाणिज्य मंत्रालय ने डंपिंग के खिलाफ एसएसआर जांच के लिए आवेदन की समयसीमा में छूट दी थी
कोई कंपनी या उद्योग संघ अब किसी उत्पाद पर डंपिंग रोधी शुल्क की अवधि समाप्त होने से कम से कम 180 दिन पहले सनसेट रिव्यू (एसएसआर) यानी फिर से उसकी जांच या समीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं. पहले व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने इस बारे में एक व्यापार नोटिस जारी किया है. अभी तक डंपिंग रोधी शुल्क समाप्त होने से 270 दिन पहले यह आवेदन करना होता था. कोई कंपनी या संघ किसी देश से उत्पादों की डंपिंग के खिलाफ जांच के लिए वाणिज्य मंत्रालय के तहत डीजीटीआर के पास आवेदन करता है. यदि जांच के बाद पाया जाता है कि किसी उत्पाद की डंपिंग से घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंच रहा है तो निदेशालय डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करता है.

यह भी पढ़ें: यूको बैंक के ग्राहकों के लिए बड़ी खुशखबरी, कर्ज की ब्याज दरों में की इतनी कटौती

हालांकि, यह आवेदन डंपिंगरोधी शुल्क समाप्त होने से कम से कम 180 दिन पहले किया जाना चाहिए. पहले यह समयसीमा 270 दिन की थी, लेकिन घरेलू उद्योग को इस समयसीमा का पालन करने में दिक्कत आ रही थी, जिसके मद्देनजर अब इसे 180 दिन कर दिया गया है. नोटिस में कहा गया है कि अपवाद वाले परिस्थितियों में कुछ ‘विशेष मामलों’ इस सीमा को और उदार कर 120 दिन किया जा सकता है.