FDI को मंज़ूरी मिलने के संकेत से चीनी कंपनियों में उत्साह, फिर भी ड्रैगन दिखा रहा आंखें
India-China Trade Relations: इकोनॉमिक टाइम्स की खबर का हवाला देते हुए ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत सरकार आगामी कुछ दिनों में पड़ोसी देशों से 26 फीसदी तक के FDI को ऑटोमेटिक रूट के जरिए मंज़ूरी देने पर विचार कर रही है.
नई दिल्ली :
India-China Trade Relations: व्यापार के मोर्चे पर चीन और भारत के संबंध सकारात्मक दिशा की ओर आगे बढ़ते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के एक्सपर्ट और व्यापार प्रतिनिधियों ने भारत सरकार के द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में ढील दिए जाने के सकारात्मक संकेतों का स्वागत किया है. दरअसल, चीन की ओर से यह खबरें इकोनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के बाद आई है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर का हवाला देते हुए ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत सरकार आगामी कुछ दिनों में पड़ोसी देशों से 26 फीसदी तक के FDI को ऑटोमेटिक रूट के जरिए मंज़ूरी देने पर विचार कर रही है.
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पड़ोसी देशों से 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने की योजना पर विचार कर रहा है भारत: इकोनॉमिक टाइम्स
बता दें कि मंगलवार को इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों के हवाले से छपी खबर में यह टिप्पणी की गई थी कि भारत उन देशों से 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने की योजना पर विचार कर रहा है, जिनके साथ भारत की सीमा छूती है और उसमें चीन भी शामिल है. हालांकि जानकारों का कहना है कि मौजूदा स्थितियों को देखते हुए अभी भी इसको लेकर अनिश्चितता है और भविष्य में इसके अवलोकन की आवश्यकता है. ग्लोबल टाइम्स ने इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि अप्रैल में भारत की FDI पॉलिसी में संशोधन के बाद रुके हुए 100 से अधिक प्रस्तावों पर फैसला होने की उम्मीद है, जिसके लिए सीमावर्ती देशों से FDI के लिए भारत सरकार की मंजूरी जरूरी है.
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सीमा पर एकतरफा उकसावे और चीनी व्यवसायों के प्रति नकारात्मक रुख की वजह से सावधान रहने की जरूरत: चीनी जानकार
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के बीच अप्रैल में शुरू किए गए भारत के नए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने विदेशी निवेशकों के प्रति रूखा रवैया अपनाया था, जिसकी वजह से चीन के व्यवसायों में निवेशकों का भरोसा कम हुआ. चीन के जानकारों का कहना है कि नई पहल चीन-भारत संबंधों में सुधार का संकेत हो सकती है, लेकिन सीमा पर भारत के एकतरफा उकसावे और भारत में चीनी व्यवसायों के प्रति नकारात्मक रुख की वजह से सावधान रहने की जरूरत है. उनका कहना है कि अभी तक यह मामला सिर्फ भारत की मीडिया ने ही रिपोर्ट किया है और रिपोर्ट के अनुसार अभी भारतीय अधिकारी फिलहाल इस मामले पर विचार कर रहे हैं, जिसकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि भी नहीं हुई है.
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सिंघुआ विश्वविद्यालय (Tsinghua University) के नेशनल स्ट्रैटेजी इंस्टीट्यूट (National Strategy Institute) के अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग (Qian Feng) ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि भारत को यह कदम जरूर उठाना चाहिए, क्योंकि चीनी निवेश पर भारत का तर्क हीन रुख उसके द्वारा खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है और लंबे समय तक इस स्थिति को बरकरार नहीं रखा जा सकता है.
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चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने इस साल सीमा टकराव के बाद चीनी निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया. उन्होंने कहा कि चीन की कंपनियों के खिलाफ अनुचित प्रतिशोधात्मक कार्रवाई से भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को गति लाने के प्रयासों को झटका लग सकता है. इसके अलावा भारत का यह कदम उसके उपभोक्ताओं को भी भारी नुकसान पहुंचा रहा है.
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