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चीन के खिलाफ उग्र हुए कारोबारी, शुरू किया चीन भारत छोड़ो अभियान

CAIT ने एक विज्ञप्ति में बताया कि भारत में चीन के सामानों के बढ़ते आयात पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है. कैट ने कहा कि उसने 10 जून से देश में शुरू किये गये भारतीय सामान, हमारा अभिमान मुहिम में एक नया आयाम जोड़ते हुए चीन भारत छोड़ो का आह्वान किया है.

Updated on: 10 Aug 2020, 08:26 AM

नई दिल्ली:

खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ आूल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation Of All India Traders-CAIT) ने भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ के मौके पर रविवार को चीन भारत छोड़ो अभियान (China Quit India) की शुरुआत की है. कैट का यह अभियान चीन में बनी वस्तुओं बहिष्कार करने पर केंद्रित है. कैट के सदस्य कारेाबारियों ने इस मौके पर देश भर में 600 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन भी आयोजित किया. कैट ने एक विज्ञप्ति में बताया कि भारत में चीन की बढ़ती उपस्थिति तथा चीन के सामानों के बढ़ते आयात पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है.

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विभिन्न राज्यों में 600 स्थानों पर धरना आयोजित किया
कैट ने कहा कि उसने 10 जून से देश भर में शुरू किये गये भारतीय सामान, हमारा अभिमान मुहिम में एक नया आयाम जोड़ते हुए चीन भारत छोड़ो का आह्वान किया है. इसके उपलक्ष्य में उसने देश के विभिन्न राज्यों में 600 स्थानों पर धरना आयोजित किया. संगठन ने विभिन्न भारतीय कंपनियों, स्टार्टअप और डिजिटल ऐप में चीन के निवेश पर चिंता जताते हुए कहा कि इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है. उसने कहा कि सरकारी परियोजनाओं और विभिन्न संवेदनशील निर्माण कार्यों में चीन के निवेश को सरकारी जांच के दायरे में लाया जाना चाहिये. कैट ने भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ के मौके पर कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में देष भर के लोग ब्रिटिश राज के खिलाफ एक साथ हो गये थे. अब समय है कि चीन के खिलाफ लोग एकजुट हों.

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कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने ‘चीन भारत छोड़ो’ अभियान का एजेंडा जारी करते हुए केंद्र सरकार से चीन और उसकी भारत में सारी गतिविधियों को चारों ओर से घेरने का अनुरोध किया. उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से भी अपील किया कि वह चीन की कंपनी वीवो को इंडियन प्रीमियम लीग (आईपीएल) का प्रायोजक नहीं बनाये। उन्होंने कहा कि यदि बीसीसीआई किसी भारतीय कंपनी को प्रायोजक बनाता है तो उन्हें इससे कोई समस्या नहीं है, लेकिन चीन की कंपनी को प्रायोजक नहीं बनाया जाना चाहिये.