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8th Pay Commission
8th Pay Commission: वेतन आयोग…ये नाम सुनते ही सरकारी कर्मचारियों के चेहरे पर खुशी छा जाती है. भारत में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की समीक्षा के लिए समय-समय पर वेतन आयोग गठित किए गए हैं. आजादी के बाद से अब तक सात बार आयोग का गठन हो चुका है. इन आयोगों ने कर्मचारियों की जरूरतों और परिस्थितियों को देखते हुए सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव हुए हैं.
सिलसिलेवार ढंग से यहां जानें...
प्रथम वेतन आयोग (1946-47)
पहला वेतन आयोग जनवरी 1946 में बना. मई 1947 में उसने अंतरिम सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी. आयोग की अध्यक्षता श्रीनिवास वरदाचारी ने की. असैनिक कर्मचारियों के वेतन ढांचे की समीक्षा करना ही उसका उद्देश्य था. इसके बाद सशस्त्र बलों के लिए अलग से युद्धोत्तर वेतन समिति का गठन हुआ, जिसकी सिफारिशों को 1 जुलाई 1947 से लागू किया गया.
दूसरा वेतन आयोग (1957-59)
अगस्त 1957 में दूसरा आयोग गठित हुआ. दो साल बाद इसने अपनी रिपोर्ट सौंपी. जगन्नाथ दास ने आयोग की अध्यक्षता की. आयोग की सिफारिशों से सरकार पर ₹39.6 करोड़ का वित्तीय बोझ पड़ा. इसके बाद “रघुरामैया समिति” 1960 में गठित हुई, जिसने सशस्त्र बलों के वेतन की समीक्षा की.
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तीसरा वेतन आयोग (1970-73)
अप्रैल 1970 में इस आयोग का गठन हुआ, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति रघुबर दयाल ने की. मार्च 1973 में इसने रिपोर्ट सौंपी और वेतन ढांचों में कई सुधार किए.
चौथा वेतन आयोग (1983-87)
न्यायमूर्ति पी.एन. सिंघल ने चौथे वेतन आयोग की अध्यक्षता की, जो 1983 में बना. इसकी रिपोर्ट से सरकार पर ₹1,282 करोड़ का भार पड़ा. इसी दौर में “रैंक पे” प्रणाली की शुरुआत हुई, जिस वजह से सैन्य और पुलिस वेतन में असमानता बढ़ गई.
पांचवां वेतन आयोग (1994-97)
न्यायमूर्ति एस. रत्नावेल पांडियन के की अध्यक्षता में 1994 में पांचवे वेतन आयोग का गठन हुआ. तीन साल में इसने अपनी रिपोर्ट दी. इस सिफारिश की वजह से सरकार पर ₹17,000 करोड़ का असर पड़ा. आयोग ने सिफारिश की कि सशस्त्र बलों के लिए CAPF में आरक्षण बढ़ाया जाए पर सरकार ने इसे नजरअंदाज किया.
छठा वेतन आयोग (2006-08)
2008 में गठित हुए छठे वेतन आयोग से 55 लाख कर्मियों को 20 हजार करोड़ रुपये का लाभ हुआ. न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण ने आयोग की अध्यक्षता की. इसी दौरान, वेतन बैंड प्रणाली शुरू की गई और ग्रुप-डी कैडर को समाप्त करने की सिफारिश हुई.
सातवां वेतन आयोग (2013-16)
न्यायमूर्ति ए.के. माथुर की अध्यक्षता में आयोग का गठना हुआ. 2016 से इसे लागू किया गया. 23.55% वेतन वृद्धि की सिफारिश की गई, बाद में इसे घटाकर 14% किया गया. सरकार ने पहली बार इसी दौरान बकाया भुगतान किया. 2017 में सरकार ने आवास ऋण सीमा 7.5 लाख से बढ़ाकर 25 लाख कर दी. हाल ही में महंगाई भत्ता को 3% बढ़ाकर 58% कर दिया गया है.
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