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कोरोना से धाराशायी हुई अर्थव्यवस्था, आर्थिक वृद्धि दर में तेज गिरावट की आशंका

सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने कहा कि कोरोना वायरस (Corons Virus) महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर गिरकर शून्य से छह से नौ प्रतिशत तक नीचे जा सकती है.

Updated on: 24 Jul 2020, 07:16 AM

हैदराबाद:

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता एवं राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने कहा कि कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर गिरकर शून्य से छह से नौ प्रतिशत तक नीचे जा सकती है. हालांकि उन्होंने कहा कि यदि सही नीतियों पर अमल किया गया तो आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में वापस उछल सकती है.

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धाराशायी हो चुकी है अर्थव्यवस्था
स्वामी ने कहा, ‘पिछले चार से पांच साल के दौरान अर्थव्यवस्था धराशायी हो गयी है. कोविड-19 से बस इतना किया है कि गिरावट की गति बढ़ गयी है.अब आप पायेंगे कि इस वित्त वर्ष के अंत तक वृद्धि दर गिरकर शून्य से छह से नौ प्रतिशत तक नीचे चली जायेगी.’ वह अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स की तेलंगाना व आंध्र प्रदेश शाखा द्वारा आयोजित एक वर्चुअल बैठक को संबोधित कर रहे थे.

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अगले वित्त वर्ष में जबर्दस्त सुधार संभव
उन्होंने कहा, ‘यह कैसे बदलेगा? उत्पादन के लिये क्षमता है. बस सवाल यह है कि आपको उत्पादन को लाभदायक बनाने में सक्षम होना चाहिये और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिये कि श्रमिकों की कारखानों में, खेतों में आवश्यकता है. वे सभी अपने काम पर वापस जाने में सक्षम हैं. एक बार ऐसा होने पर मैं कहूंगा कि यदि आप सही नीति का पालन करते हैं, तो 2021-22 (अगले वित्त वर्ष) में हम सात प्रतिशत की वृद्धि दर तक पहुंच जायेंगे, लेकिन नीतियां पिछले पांच वर्षों जैसी नहीं रहनी चाहिये.’

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पीएम मोदी को भी चेताया
स्वामी ने कहा कि उन्होंने अतीत में कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आर्थिक मंदी का इशारा किया है. उन्होंने कहा, 'मैंने चार साल पहले प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा, जिसमें बताया गया है कि इस साल के अंत तक स्थिति क्या होगी. मैंने 2015 में एक पत्र लिखा था कि वृद्धि दर में गिरावट शुरू हो जायेगी... हर साल हम गिरावट में जा रहे हैं.' भाजपा नेता ने कहा कि अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिये केंद्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पैकेज सीधे तौर पर मांग का सृजन नहीं करता है.