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पंजाब सबसे ज्यादा वित्तीय संकट वाला राज्य, मोंटेक पैनल की रिपोर्ट में दावा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले साल राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पंजाब की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए विशेषज्ञों के एक समूह का गठन किया था.

Updated on: 28 Jul 2021, 12:39 PM

highlights

  • रिपोर्ट में बिजली सब्सिडी और कृषि ऋण माफी जैसे मुद्दों को शामिल नहीं किया 
  • राजकोषीय समायोजन रणनीति तैयार करने के लिए पैनल के गठन का सुझाव

चंडीगढ़:

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया (Montek Singh Ahluwalia) के नेतृत्व वाले विशेषज्ञों के पैनल ने कहा है कि पंजाब वर्तमान में सबसे कम पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) के साथ सबसे अधिक तनावग्रस्त राज्यों में से एक है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले साल राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने पंजाब की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए विशेषज्ञों के एक समूह का गठन किया था. हाल ही में प्रस्तुत अपनी अंतिम रिपोर्ट में विशेषज्ञों के समूह ने सरकारी कर्ज की औसत लागत को कम करने, पुलिस में भर्ती पर प्रतिबंध लगाने, राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतनमान को एक समान करने और व्यवसायिक कर की कटौती में बढ़ोतरी जैसे उपायों का सुझाव दिया है.

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हालाकि विशेषज्ञों के समूह ने अपनी रिपोर्ट में बिजली सब्सिडी और कृषि ऋण माफी जैसे मुद्दों को शामिल नहीं किया है. पैनल ने कहा है कि जब तक अगले कुछ वर्षों में राजकोषीय स्थिति को ठीक करने के उपाय नहीं किए जाते, तब तक पंजाब को उसकी पूर्व-प्रतिष्ठित स्थिति में बहाल करने के उद्देश्य को प्राप्त करना संभव नहीं हो सकता है. पैनल का कहना है कि हम मानते हैं कि राज्य की वित्तीय स्थिति में एक संरचनात्मक सुधार लाना महामारी के इस दौर के बीच में संभव नहीं है जिसने सभी राज्यों और केंद्र के राजकोषीय घाटे को बढ़ा दिया है. हालांकि, महामारी के बाद सामान्य स्थिति हासिल करने के बाद एक ठोस प्रयास शुरू करने की जरूरत है.

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विशेषज्ञ समूह ने दीर्घकालिक राजकोषीय समायोजन रणनीति (Long Term Fiscal Adjustment Strategy) तैयार करने के लिए एक अन्य विशेषज्ञ पैनल के गठन का सुझाव दिया है. पैनल का कहना है कि हमने लंबी अवधि के वित्तीय समायोजन की रणनीति तैयार करने के लिए पंजाब सरकार से एक विशेषज्ञ समूह नियुक्त करने की अनुशंसा की है, ताकि उसे अगले पांच वर्षों में लागू किया जा सके. इस अवधि में यह रणनीति संसाधनों की उपलब्धता और राजकोषीय घाटे को कम करने के उद्देश्य के अनुरूप पूंजी निवेश की संभावना के लिए दिशानिर्देश की तरह से काम करेगा.