Patanjali News : आज के दौर में पतंजलि आयुर्वेदिक चिकित्सा ने बड़ा मुकाम हासिल किया है. पतंजलि ने खुद को आज के जमाने की जरूरतों के हिसाब से ढाला है. इसके साथ ही पतंजलि ने पर्यावरण सरंक्षण की दिशआ में भी बेहतर काम किया है. पंतजलि ने देश में हरित पहल कर प्रकृति को भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस दौरान पंतजलि ने खेती में प्राकृतिक सामग्री और जैविक खेती पर जोर देकर खेती की दशा-दिशा सुधारी. परिणाम यह निकला कि खेती में रासायनिक पदार्थों का कम से कम इस्तेमाल हुआ और पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचा.
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जैविक खेती को बढ़ावा
दरअसल, आयुर्वेद और हर्बल प्रोडक्ट्स की दुनिया में नाम कमा चुका पंतजलि जैविक खेती को बढ़ावा देता है. इससे मिट्टी की गुणवत्ता में तो सुधार होता है ही रासायनिक उर्वरकों की कीटनाशकों का भी कम से कम इस्तेमाल होता है. इसके अलावा पतंजलि पर्यावरण-अनुकूलन पैकेजिंग का भी इस्तेमाल करता है. जो डीकंपोज होकर खाद का काम करता है, जिससे खेती की जमीन उर्वरक बन जाती है, जिसकी वजह से कचरे की मात्रा में भी कमी आती है. पानी और ऊर्जा सरंक्षण के क्रम में पतंजलि जल-पुनर्चक्रण और सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा देता है.
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वृक्षारोपण को भी बढ़ावा
पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में भी पतंजलि ने दो कदम आगे चलते हुए वृक्षारोपण को भी बढ़ावा दिया है. जिससे धरती पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिली है. इसके लिए कंपनी स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ती है.