logo-image

मुआवजे पर अटॉर्नी जनरल की राय को लेकर जीएसटी परिषद की बैठक में होगी चर्चा : सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही माल एवं सेवा कर (GST) मुआवजे पर अटॉर्नी जनरल (एजी) के विचार मांगे गए थे.

Updated on: 01 Aug 2020, 05:47 PM

दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही माल एवं सेवा कर (GST) मुआवजे पर अटॉर्नी जनरल (एजी) के विचार मांगे गए थे. उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में इस कानूनी राय पर चर्चा की जाएगी. कुछ राज्यों ने जीएसटी मुआवजे पर अटॉर्नी जनरल की राय को लेकर आपत्ति जताई है.

इस बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने शनिवार को कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में इसपर चर्चा की जाएगी. वित्त मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘जीएसटी परिषद की पिछली बैठक में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श हुआ था. सदस्यों ने इस मामले में अपने विचार रखे थे. उसके बाद इसपर अटॉर्नी जनरल से कानूनी राय लेने पर विचार किया गया.’ केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने मार्च में परिषद द्वारा बाजार से कर्ज लेने की वैधता पर सरकार के मुख्य विधि अधिकारी अटॉर्नी जनरल की राय लेने का फैसला किया. था. मुआवजा के लिए धन की कमी की भरपाई के लिए बाजार से कर्ज जुटाने की चर्चा हो रही है. परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं.

 मुआवजा कोष में कमी की भरपाई GST परिषद् को ढूंढना होगा

सीतारमण ने कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय मिल गई है. ‘हम के मुआवजे के मुद्दे पर ही जीएसटी परिषद की बैठक करेंगे.’ उन्होंने कहा कि बैठक की तारीख पर जल्द फैसला लिया जाएगा. सूत्रों ने बताया कि अटॉर्नी जनरल की राय है कि केंद्र सरकार राज्यों को देय जीएसटी मुआवजे के धन की कमी का भुगतान करने को बाध्य नहीं है. मुआवजा कोष में कमी की भरपाई का तरीका जीएसटी परिषद को ढूंढना है.

इसे भी पढ़ें:नहीं रहे राज्यसभा सांसद अमर सिंह, सिंगापुर में चल रहा था इलाज

2019 से उपकर से प्राप्त राजस्व में कमी के बाद बना मुद्दा 

अगस्त, 2019 से उपकर से प्राप्त राजस्व में कमी आने के बाद राज्यों को जीएसटी मुआवजे का भुगतान मुद्दा बना हुआ है. केंद्र को 2017-18 और 2018-19 में जुटाए गए अधिशेष उपकर को मुआवजे पर खर्च करना पड़ा. जीएसटी कानून के तहत जीएसटी के एक जुलाई, 2017 से क्रियान्वयन के बाद राज्यों को पहले पांच साल तक राजस्व नुकसान की भरपाई द्विमासिक आधार पर की जाती है.

14 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान के आधार पर की जाती है

राजस्व नुकसान की कमी की गणना 2015-16 को आधार वर्ष के हिसाब से जीएसटी संग्रह में सालाना 14 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान के आधार पर की जाती है. जीएसटी के ढांचे के तहत कर के चार स्लैब पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. सबसे ऊंचे कर स्लैब में विलासिता वाली या अहितकर वस्तुओं पर उपकर लगता है.

और पढ़ें:राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले अमर सिंह का सियासी सफर कुछ ऐसा था

 राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता 

इस उपकर का इस्तेमाल राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है. केंद्र ने 2019-20 में 1.65 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा जारी किया था. हालांकि, 2019-20 में उपकर से जुटाई गई राशि कम यानी 95,444 करोड़ रुपये रही थी. 2018-19 में मुआवजे का भुगतान 69,275 करोड़ रुपये और 2017-18 में 41,146 करोड़ रुपये रहा था.