चीन में बिजली की कमी से त्राहिमाम, दुनियाभर की इकोनॉमी पर पड़ेगा बड़ा असर
China Power Crisis News: बीबीसी रिपोर्ट के हवाले कहा गया है कि आने वाले समय में चीन को ऊर्जा की कमी से जुझना होगा. अब इस साल विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन का विकास दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.
highlights
- इस साल विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन का विकास दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान
- बीबीसी रिपोर्ट के हवाले कहा गया है कि आने वाले समय में चीन को ऊर्जा की कमी से जुझना होगा
नई दिल्ली:
China Power Crisis News: चीन में बिजली आपूर्ति का संकट गहराने की वजह से बिजली कटौती जारी है. वहीं फैक्ट्रियों को भी उत्पादन कटौती के लिए मजबूर होना पड़ा है. बता दें कि गोल्डमैन सैसे ने चीन के ग्रोथ रेट में कमी का अनुमान लगाया है. बीबीसी रिपोर्ट के हवाले कहा गया है कि आने वाले समय में चीन को ऊर्जा की कमी से जुझना होगा. अब इस साल विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन का विकास दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि इससे पहले इसके बारे में 8.2 प्रतिशत विकास का अनुमान लगाया गया था. इसके बारे में फर्म का कहना है कि महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों में इसके कारण कमी आएगी, जिसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है. इसके कारण अनुमान लगाया गया है कि चीन की आर्थिक गतिविधि के 44 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्से पर इसका असर होगा.
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कारखाने बंद होने के कगार पर पहुंचे
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन में पावर सप्लाई की कमी के पीछे पर्यावरण नियंत्रण, सप्लाई को नियंत्रित और इसके बढ़ते ऊंचे दाम हैं और स्थिति ऐसी रही तो यहां पर कई कल-कारखाने बंद हो जाएंगे, वहीं घरों में भी बिजली सप्लाई बाधित हो जाएगी. पावर सप्लाई की कमी का असर उत्तरी चीन के सबसे बड़े पोर्ट तियानजीन पर देखने को मिल रहा है, जहां पर बड़े-बड़े क्रेन के सहारे जहाज से माल उतारने का क्रम रुक गया है और इस सप्ताह के अंत तक ऐसी ही स्थिति रहने का अनुमान लगाया जा रहा है. आलम यह है कि चीन के लिओनिंग, जिलीन और हैलोंगजियांग प्रांत में पावर कमी के कारण त्राहिमाम मची है. यहां न तो लिफ्ट्स और न टैफिक सिंगल्स काम नहीं कर रहे हैं. लोगों ने अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए सोशल साइट्स का सहारा लिया है, जहां पर शिकायतों का अंबार लग गया है. यहां की प्रांतीय सरकार सुचारु रूप से पावर सप्लाई का आश्वासन दे रहे हैं..लेकिन लोगों का गुस्सा थमता नहीं दिख रहा है.
कड़े रेग्यूलेशन का असर
चीन भले ही अपनी तरक्की के रूप में कुछ भी बोले, लेकिन अभी भी यहां की पावर सप्लाई की व्यवस्था काफी हद तक कोयले पर निर्भर है. जापान की प्रसिद्ध फाइनेंस संस्था नोमुरा और वाल स्ट्रीट इंवेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टेनले व चीन इंटरनेशनल कॉरपोरेशन संस्था ने इस बारे में चेतावनी देते हुए कहा है कि स्थिति ऐसी रही तो चीन का आर्थिक विकास दर बहुत कम हो जाएगा. वैसे भी चीन की आर्थिक स्थिति पहले जैसी नहीं रही, यहां के कड़े रेग्यूलेशन का काफी असर यहां के महत्वपूर्ण सेक्टरों पर साफ दिख रहा है, जिसमें सबसे ज्यादा प्रभाव यहां के रियल एस्टेट सेक्टर पर दिख रहा है और अनुमान है कि इस कारण पूरा विश्व एक बार फिर से आर्थिक मंदी का शिकार हो सकता है.
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गोल्डमैन सैसे की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि जब तक चीन की सरकार यहां पर पावर सप्लाई की पॉलिसी को आसान नहीं बनाती है, तब तक बात नहीं बनेगी और पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर चीन की चिंता जगजाहिर है. इसलिए यहां की सरकार को इस समस्या से निजात के लिए एक बेहतर रणनीति बनानी होगी.
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