सब्जियों की महंगाई ने जीना किया मुहाल, 2 महीने में तीन गुना बढ़ गए दाम
बीते दो महीने में हरी सब्जियों (Vegetables) की कीमतें तीन गुनी हो गई हैं और बरसात के मौसम में सब्जियों की महंगाई से जल्द राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं. भिंडी और तोरई की खुदरा कीमतें बीते दो महीने में तिगुनी तो करेला की चौगुनी हो गई है.
नई दिल्ली:
Vegetable Price Hike: आसमान छू रही सब्जियों (Vegetable Rate) की महंगाई ने आम उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ा दी है. हरी-शाक सब्जियों (Latest Vegetable News) के साथ-साथ आलू, प्याज व अन्य टिकाऊ सब्जियों के दाम में भी लगातार इजाफा हो रहा है. बीते दो महीने में हरी सब्जियों की कीमतें तीन गुनी हो गई हैं और बरसात के मौसम में सब्जियों की महंगाई से जल्द राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं. भिंडी और तोरई की खुदरा कीमतें बीते दो महीने में तिगुनी तो करेला की चौगुनी हो गई है. आलू और प्याज भी दोगुने दाम पर बिक रहे हैं. खुदरा सब्जी विक्रेता कहते हैं कि थोक मंडियों से ही ऊंचे भाव पर सब्जियां आ रही हैं. वहीं, थोक व्यापारी कहते हैं कि बरसात के चलते आवक कम है, जिसके कारण दाम में इजाफा हुआ है.
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बारिश के सीजन में आवक प्रभावित होने के कारण बढ़ जाते हैं सब्जियों के दाम: आदिल अहमद खान
एशिया में फलों और सब्जियों की सबसे बड़ी मंडी आजादपुर में प्याज का थोक भाव शनिवार को 7.50 रुपये से 17.50 रुपये प्रति किलो था. वहीं, आलू का का थोक भाव 13 रुपये से 44 रुपये प्रति किलो जबकि टमाटर का थोक भाव 12 रुपये से 46.75 रुपये प्रति किलो. आजादपुर मंडी कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के चेयरमैन आदिल अहमद खान का कहना है कि बरसात के सीजन में हर साल आवक प्रभावित होने के कारण सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस समय मांग के मुकाबले आपूर्ति कम होना सब्जियों की कीमतों में इजाफा की मुख्य वजह है। खान ने बताया कि बरसात में खेतों में पानी खड़ा होने से फसल खराब हो गई है, जिससे आवक कम है और नई फसल आने तक कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद कम है.
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भारी बारिश व बाढ़ के हालात पैदा होने से फसल खराब
देश में प्याज की सबसे ज्यादा पैदावार महाराष्ट्र के नासिक इलाके में होती है. महाराष्ट्र की पिंपलगांव मंडी के प्याज कारोबारी साहू बाबू ने बताया कि दक्षिण व मध्यभारत में बीते दिनों भारी बारिश व बाढ़ के हालात पैदा होने से फसल खराब होने के कारण कीमतों में तेजी देखी जा रही है. उन्होंने कहा कि बरसात में गोदामों में रखा प्याज भी नमी के कारण खराब होने लगता है. नोएडा में रेहड़ी लगाकर सब्जी बेच रहे बदायूं के विकास कुमार ने कहा कि थोक मंडियों में सब्जियां कम आ रही हैं, इसलिए कीमतों में इजाफा हुआ है. कारोबारी बताते हैं कि अब होटल, ढाबा व रेस्तरां में भी खुल गए हैं, जिससे आलू, प्याज और टमाटर समेत हरी सब्जियों की मांग बढ़ गई है, इसलिए कीमतों में तेजी देखी जा रही है.
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सब्जियों के दाम बढ़ने से गृहणियों के रसोई का बजट बिगड़ गया है. दिल्ली के मंडावली इलाके में रहने वाली सारिका झा ने कहा कि सब्जियों की महंगाई से रसोई का बजट बनाना मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के चलते एक तरफ लोगों की नौकरियां चली गई हैं और जो नौकरी में है उनके वेतन में कटौती की जा रही है. दूसरी तरफ दाल, तेल और सब्जियों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे आम उपभोक्ताओं को सब्जी की अपनी जरूरत में भी कटौती करनी पड़ रही है.
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दिल्ली-एनसीआर में रविवार को सब्जियों के खुदरा भाव (रुपये प्रतिकिलो)
आलू 30-40, फूलगोभी-120, टमाटर 60-80, प्याज 30-35, लौकी/घीया-50, भिंडी-60, खीरा-40-50, कद्दू-30, बैंगन-50, शिमला मिर्च-100, तोरई-60, करैला-80, परवल 80, बींस-60, अरबी-40.
जून में सब्जियों के खुदरा दाम (रुपये प्रति किलो)
आलू 20-25, फूलगोभी 30-40, टमाटर 20-30, प्याज 20-25, लौकी/घीया-20, भिंडी-20, खीरा-20, कद्दू 10-15, बैंगन-20, शिमला मिर्च-60, तोरई-20, करेला 15-20.
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