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महंगे टमाटर से 2 महीने तक आम आदमी को नहीं मिलेगी राहत, अन्य सब्जियां भी चढ़ीं

दिल्ली की ग़ाज़ीपुर मंडी में टमाटर के दाम 60 रूपए किलो है तो वहीं फुटकर में यही टमाटर 80-100 रूपये किलो तक बिक रहा है.

Updated on: 27 Nov 2021, 08:51 AM

highlights

टमाटर के सप्लायर राज्यों में बारिश से हाल बिगड़े

प्याज की कीमतें भी पकड़ सकती हैं और तेजी

आवक बढ़ने के बाद ही काबू में आएंगी कीमतें

नई दिल्ली:

टमाटर की कीमतें अभी आम आदमी को और लाल करेगी. क्रिसिल रिसर्च ने कहा कि लगातार और अधिक बारिश के कारण सब्जियों की कीमतों में तेजी आई है और टमाटर की कीमत अगले दो महीनों तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती है. जमीनी स्थिति बताते हुए क्रिसिल ने कहा है कि टमाटर के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में से एक कर्नाटक में स्थिति इतनी गंभीर है कि इस सब्जी को महाराष्ट्र के नासिक से भेजा जा रहा है. क्रिसिल रिसर्च ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर की अवधि के दौरान प्रमुख सप्लायर राज्य कर्नाटक (सामान्य से 105 फीसदी ज्यादा), आंध्र प्रदेश (सामान्य से 40 फीसदी अधिक) और महाराष्ट्र (सामान्य से 22 फीसदी) में अधिक बारिश होने के कारण खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है. ये प्रमुख सप्लायर राज्य हैं.

बारिश से टमाटर की आवक पर असर
इसने कहा है कि 25 नवंबर तक कीमतों में 142 फीसदी की वृद्धि हुई है और मध्य प्रदेश और राजस्थान से फसल की कटाई जनवरी से शुरू होने तक दो और महीनों के लिए कीमतें अधिक बनी रहेगी. एजेंसी ने कहा है कि मौजूदा समय में दिल्ली की ग़ाज़ीपुर मंडी में टमाटर के दाम 60 रूपए किलो है तो वहीं फुटकर में यही टमाटर 80-100 रूपये किलो तक बिक रहा है. हालांकि सब्ज़ी बेचने वाले आढ़तियों का कहना हे कि जल्द ही टमाटर के दाम कम हो सकते हैं, क्योंकि टमाटर की फसल आनी शुरू हो गई. इससे पहले टमाटर बाहर से मंगाना पड़ रहा था.

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प्याज भी चढ़ रहा
प्याज के मामले में रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में कम बारिश के कारण महाराष्ट्र के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में रोपाई में देरी हुई, जिसके कारण अक्टूबर में आवक में देर हुआ. इससे सितंबर की तुलना में प्याज की कीमतों में 65 फीसदी की वृद्धि हुई. हालांकि, प्याज के मामले में हरियाणा से ताजा आवक 10-15 दिनों में शुरू होने की उम्मीद है, जिससे कीमतों में गिरावट आएगी.

बारिश से बुवाई पर असर
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और गुजरात में अत्यधिक बारिश के कारण रबी की एक और फसल आलू की बुवाई का मौसम बुरी तरह प्रभावित हुआ है. शोधकर्ताओं की स्थानीय किसानों के साथ बातचीत के अनुसार खेतों में अत्यधिक जलजमाव से आलू के कंदों की फिर से बुवाई की जा सकती है, जिससे किसानों की लागत बढ़ सकती है. अगर भारी बारिश जारी रही, तो दो और महीनों के लिए कीमतें अधिक होंगी.

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भिंडी की कीमतों में आएगी गिरावट
इसने कहा है कि अगले तीन हफ्तों में भिंडी की कीमतें कम होने लगेंगी. क्रिसिल ने कहा कि आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे उत्पादन क्षेत्रों में बुवाई और शुरुआती वनस्पति चरण के दौरान भारी बारिश से उत्पादन प्रभावित हुआ है. इसमें कहा गया है कि शिमला मिर्च और ककड़ी सहित अन्य सब्जियों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार उम्मीद है कि उत्तर-पूर्वी मानसून के वापस होने के बाद, सब्जियों की कीमतों का सबसे खराब दौर खत्म हो सकता है.