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भारत को सस्ता कच्चा तेल देने से मुकरा रूस, नहीं होगी डील, यह वजह आई सामने

Russia Crude Oil Deal: रूस- यूक्रेन महायुद्ध के बीच जहां एक ओर रूस की तेल उत्पादक कंपनियों पर अमेरिका ( United States) ने प्रतिबंध लगा दिया था वहीं दूसरी ओर भारत इस अवसर का फायदा उठाने के अवसर में था.

Updated on: 09 Jun 2022, 12:13 PM

highlights

  • रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाना चाहता था भारत
  • कच्चे तेल को डिस्काउंट पर खरीदना चाहता था भारत
  • रूस पर्याप्त तेल ना होने की वजह से ठुकरा रहा है डील

नई दिल्ली:

Russia Crude Oil Deal: पिछले दिनों भारत की सरकारी तेल कंपनियां आगामी 6 महीनों के लिए रूस की तेल कंपनी  रोसनेफ्ट ( Rosneft PJSC) से कच्चे तेल का करार करने की जुगत में थी, वहीं अब इसी को लेकर बड़ी खबर आ रही है. रूस की तेल कंपनी  रोसनेफ्ट ( Rosneft PJSC) ने भारत को कच्चा तेल देने से साफ मना कर दिया है. दरअसल रूस- यूक्रेन महायुद्ध के बीच जहां एक ओर रूस की तेल उत्पादक कंपनियों पर अमेरिका ( United States) ने प्रतिबंध लगा दिया था वहीं दूसरी ओर भारत इस अवसर का फायदा उठाने के अवसर में था. भारत रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा कर सस्ते दामों पर मोलभाव करना चाहता था, लेकिन अब इस डील को लेकर कोई संभावना नहीं रह गई है.

नहीं बचा है अतिरिक्त तेल
भारत इससे पहले भी रूस से डिस्काउंट पर कच्चे तेल आयात कर चुका है, वहीं इस बार की डील भी बड़ी उम्मीद बांधे थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोसनेफ्ट ( Rosneft PJSC) को पहले से कुछ ग्राहक देश मिल गए हैं. यही वजह रही कि उसने भारत को कच्चा तेल देने से मना कर दिया है. कंपनी ने कहा है कि उसके पास अतिरिक्त क्रूड ऑयल नहीं बचा है, इसलिए भारत के साथ डील नहीं हो पाएगी.

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भारत पर क्या पड़ेगा असर 
रूस से कच्चे तेल की डील ना होने के कारण भारत को आने वाले समय में स्पॉट मार्केट से महंगा तेल खरीदना पड़ेगा. क्योंकि पेट्रोल- डीजल की कीमतों का तय होना कच्चे तेल के भाव पर निर्भर करता है इसलिए पेट्रोल- डीजल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं. भारत की दो सरकारी तेल कंपनियां भारत पेट्रोलियम कॉर्प और हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रूस से कच्चे तेल को लेकर बातचीत चल रही थी. 

केवल इंडियन ऑयल कॉर्प का समझौता
रिपोर्ट्स के मुताबिक में भारत की सबसे बड़ी कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्प की रोसनेफ्ट ( Rosneft PJSC) के साथ डील हुई है. इस डील के मुताबिक हर महीने 6 मिलियन बैरल रूसी तेल खरीदा जाएगा. इसमें 3 मिलियन बैरल अधिक खरीदने का ऑप्शन होगा. सूत्रों के मुताबिक अन्य दो रिफाइनर की डील को रूस पूरी नहीं कर पाएगा.