मोदी सरकार के सिर्फ इस एक फैसले से होगी 1.6 लाख करोड़ रुपये की कमाई, कोरोना से लड़ने में मिलेगी मदद

सरकार को कोरोना वायरस (Coronavirus Epidemic) संकट के चलते लॉकडाउन (Lockdown) से हो रहे राजस्व नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी.

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Dhirendra Kumar
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Petrol Diesel

Coronavirus Epidemic: Petrol Diesel( Photo Credit : फाइल फोटो)

Petrol Diesel News: नकदी संकट से जूझ रही केंद्र सरकार को पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel Price) पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी से चालू वित्त वर्ष में 1.6 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिल सकता है. इससे सरकार को कोरोना वायरस (Coronavirus Epidemic) संकट के चलते लॉकडाउन (Lockdown) से हो रहे राजस्व नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी.

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सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई
मंगलवार देर रात सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें दो दशक के निचले स्तर पर चली गयी हैं. इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए सरकार ने यह निर्णय किया है. औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक दो महीने से कम की अवधि में यह दूसरी बार उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है. वित्त वर्ष 2019-20 के बराबर उपभोग होने पर इससे सरकार को 1.7 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है. हालांकि कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से किए गए बंद के चलते ईंधन के उपभोग में कमी आयी है, क्योंकि लोगों की आवाजाही पर रोक है. ऐसे में चालू वित्त वर्ष 2020-21 के बचे 11 महीनों में इस शुल्क बढ़ोत्तरी से होने वाली अतिरिक्त आय 1.6 लाख करोड़ रुपये रह सकती है. इससे पहले सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर तीन-तीन रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ाया था.

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सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने 16 मार्च से पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखा है. सरकार के इस कदम से उत्पाद शुल्क के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी के चलते उनके द्वारा कमाया गया लाभ गिर सकता है. अधिकारियों ने बताया कि सामान्य तौर पर पेट्रोल-डीजल पर कर की दर बदलने का सीधा असर ग्राहक पर पड़ता है और इसकी कीमतों में फेरबदल होता है, लेकिन 14 मार्च को उत्पाद शुल्क में की गयी बढ़ोत्तरी के बावजूद ईंधन की कीमतें स्थिर रहीं. इस बढ़े हुए शुल्क को कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें गिरने से हुए लाभ से बदल लिया गया.

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ब्रेंट कच्चा तेल की कीमत 18 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गयी थी जो 1999 के बाद का सबसे निचला स्तर था। इस बारे में रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (कॉरपोरट वित्त पोषण) ने कहा कि भारत सरकार के पेट्रोल पर 21 डॉलर प्रति बैरल और डीजल पर 27 डॉलर प्रति बैरल कर बढ़ाने से सरकार को 21 अरब डॉलर का राजस्व मिलेगा, यदि साल भर इस शुल्क बढ़ोत्तरी को बरकरार रखा जाता है तो.

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